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    प्रमंडलीय स्तर पर वैशाली​ जिले को बेस्ट ट्रामा सेंटर और परिवार नियोजन को मिला पुरस्कार

    -परिवार नियोजन के पांच इंडिकेटर पर वैशाली को मिला दूसरा पुरस्कार 

    -गोरौल के ट्रामा सेंटर को भी मिला पुरस्कार 

    वैशाली। स्वास्थ्य सेवाओं के दो क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के लिए वैशाली जिले को प्रमंडलीय स्तर पर सराहा और पुरस्कृत किया गया है। यह सराहणा गोरौल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राकेश कुमार और बीएचएम रेणु कुमारी को बेस्ट ट्रॉमा सेंटर के संचालन तथा जिला स्वास्थ्य समिति के एसीएमओ डॉ ब्रजेश शरण और डीसीएम कुमारी निभा सिन्हा को परिवार नियोजन के पांच इंडिकेटरों के सफल संचालन के लिए दिया गया है। वहीं प्रखंड स्तर पर पातेपुर तथा देसरी पीएचसी को यह पुरस्कार दिया गया है। 

    इस बीच डीसीएम कुमारी निभा सिन्हा ने बताया कि जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाया जाता है। इसके लिए समय-समय पर परिवार नियोजन पखवाड़ा का आयोजन करके महिला बंध्याकरण और पुरुष नसबंदी पर बल दिया जाता है। जिसमें महिलाओं की सहभागिता पुरुषों से अधिक देखी जाती है। वहीं जनसंख्या स्थिरीकरण में पुरुषों की सहभागिता को लेकर भी सरकार लगातार प्रयासरत है।  इसके लिए पुरुषों को आगे आने के लिए लगातार प्रेरित भी किया जाता है। इसी को लेकर आगामी 28 नवंबर से 12 दिसंबर तक मिशन परिवार विकास अभियान के तहत पुरुष नसबंदी पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इसका मुख्य मकसद इस पखवाड़े में पुरुष नसबंदी को बढ़ावा दिया जाना  और नसबंदी के प्रति पुरुषों को आगे आने के लिए प्रेरित किया जाना है। अभियान के दौरान जिले के सभी अस्पतालों के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

    महिला बंध्याकरण  की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित:

    सिविल सर्जन श्यामनंदन प्रसाद ने बताया  कि परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने में धरातल पर उतारने और समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसंभव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनवरत की जा रही है। यह तभी फलीभूत हो सकता है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने को आगे आएं और उस मानसिकता को तिलांजलि दे दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती  यह गलत धारणा है। इसको मन से निकालकर यह जानना बहुत जरूरी है कि महिला बंध्याकरण की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है। इसलिए दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए और जब तक बच्चा न चाहें तब तक पुरुष अस्थायी साधन कंडोम को अपना सकते हैं। वहीं परिवार पूरा होने पर परिवार नियोजन के स्थायी साधन नसबंदी को भी अपनाकर अपनी अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं। 

    दो और तीन बच्चों के पिता को किया जाएगा जागरूक : 

    अभियान के दौरान दो और तीन बच्चों के पिता को पुरुष नसबंदी करवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके साथ ही एक बच्चे के पिता को परिवार नियोजन के अस्थाई उपाय के रूप में कंडोम इस्तेमाल करने और दो और तीन बच्चों के पिता को पुरुष नसबंदी करवाने के लिए प्रेरित करते हुए इसके लिए आवश्यक साधन उपलब्ध कराए जाएंगे । जिले के सभी अस्पतालों और प्राथमिक – सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर परिवार नियोजन के स्थाई साधन के रूप में महिला बंध्याकरण और पुरुष नसबंदी और अस्थाई साधन के रूप में गर्भनिरोधक गोली और इंजेक्शन के साथ- साथ कॉपर टी लगवाने की सुविधा उपलब्ध हैं। इसी तरह पुरुषों के लिए भी कंडोम उपलब्ध हैं । 

    मामूली शल्य प्रक्रिया है पुरुष नसबंदी: 

    सिविल सर्जन ने बताया कि पुरुष नसबंदी मामूली शल्य प्रक्रिया है। यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल है। इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई प्रकार का भ्रम फैला हुआ है। इस भ्रम को तोड़ना होगा। छोटा परिवार सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुष को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है।

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