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    जिले के 21 प्रखंडो में हुआ सिंथेटिक पाराथराइड दवा का छिड़काव

    - भीएल एवं पीकेडीएल मिलाकर जिले में है कालाज़ार के 24 मरीज

    मोतिहारी। कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत पूर्वी चम्पारण जिले के 21 प्रखंडों में कालाजार से बचाव हेतु सिंथेटिक पाराथराइड का छिड़काव किया गया है। यह अभियान जिले के 21 प्रखंडों में स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा 25 जुलाई से 13 अक्टूबर तक चलाया गया। वहीं रक्सौल, रामगढ़वा, अरेराज, बनकटवा, घोड़ासहन, पताहीं में कालाजार के मरीज नहीं मिलने से छिड़काव नहीं कराया गया।

    जिला वेक्टरजनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरतचंद्र शर्मा ने बताया कि कालाज़ार बालू मक्खी के काटने से होता है। कालाजार उन्मूलन के लिए बालू मक्खियों को नष्ट करने के लिए दवा का छिड़काव कराया गया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक माह, 06 माह एवं 12 माह पर कालाजार के मरीजों का फॉलोअप जांच किया जाता है। इसकी रिपोर्ट सभी प्रखंडों से मंगाकर अपटूडेट कर राज्य सरकार को भेजी जाती है। उन्होंने कहा कि कालाजार से बचाव के लिए जागरूकता के लिए जगह-जगह बैनर-पोस्टर, प्रचार रथ तथा माइकिंग से जागरूक किया जाता है। कालाजार मरीजों को राज्य एवं केंद्र सरकार के द्वारा  66 सौ रुपया आर्थिक सहायता दी जाती है। वहीं भारत सरकार द्वारा 500 रुपया अलग से दिया जाता है। उन्हें कुल 7100 रुपया की आर्थिक सहायता दी जाती है। वहीं धर्मेंद्र कुमार, गौतम कुमार ने बताया की द्वितीय चक्र में 85 राजस्व ग्राम के एक लाख 57 हजार 621 घरों के कुल आठ लाख 16 हजार 653 जनसंख्या वाले इलाकों में दवा का छिड़काव किया गया है। उन्होंने कहा कि जिला कालाजार उन्मूलन के तरफ अग्रसर है। भीबीडीसी धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 में 196, 2019 में 119, 2020 में 69, 2021 में 67, 2022 में 67 तथा 2023 में 26 तथा 2024 में 24 एवं 2025 में अभी तक 18 कालाजार के मरीज मिले है।

    कालाजार के मुख्य लक्षणों में अनियमित बुखार, वजन में भारी कमी, थकान, और खून की कमी (एनीमिया) शामिल हैं। इसके अलावा, तिल्ली और यकृत में सूजन आ जाती है, भूख कम लगती है और त्वचा सूखी, पपड़ीदार और काली हो सकती है। त्वचा में बदलाव: हाथ, पैर, चेहरे और पेट की त्वचा सूखी, पतली और पपड़ीदार हो जाती है। कालापन: गोरी त्वचा वाले लोगों में त्वचा का रंग भूरा पड़ जाता है, इसी कारण इसे 'काला बुखार' भी कहते हैं।


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