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    पांच साल से शिवहर लगातार कालाजार उन्मूलन जिलों में शामिल

    -विशेष निगरानी के लिए बनाए गए हैं 33 सूचना दाता

    -ग्रामीण चिकित्सकों को भी किया गया है प्रशिक्षित 

    शिवहर। जिले ने कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। विगत पांच वर्षों से यहां कालाजार के किसी मरीज की पहचान नहीं हुई है। इसका अर्थ है कि जिले में कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य प्रखंड स्तर पर प्रति 10000 आबादी पर एक या उससे कम मरीज हैं। अगर एक पीएचसी क्षेत्र में प्रति 10000 की आबादी पर एक या उससे कम मरीज प्रतिवेदित होता है तो उसे कालाजार उन्मूलन की श्रेणी में माना जाता है। इस स्थिति को लगातार तीन वर्षों तक बनाए रखा जाए तो इसे उन्मूलन और सस्टेनेबल कहा जाता है। इस लक्ष्य को जिले ने 2019 में ही प्राप्त कर लिया है। जिले ने लगातार पांच वर्षों से इस स्टेटस को बरकरार रखा है। इसके पहले जिन गांवों में ज्यादा केस मिलते थे वहां भी विशेष निगरानी रखी जा रही है। कालाजार पर विशेष निगरानी के लिए 33 सूचना दाता बनाए गए हैं। सूचना दाताओं आर एच पी (ग्रामीण चिकित्सक) को प्रशिक्षित किया गया है और समय समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। कही भी कालाजार के संभावित मरीज दिखने पर वे सूचना देते है। यह कहना है जिले के सिविल सर्जन डॉ दीपक कुमार का।

    जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुरेश राम ने कहा कि कालाजार का मुख्य लक्षण है दो हफ्ते से ज्यादा बुखार लगना। साल में दो बार आई आर एस छिड़काव के दौरान घर घर कालाजार रोगी खोज अभियान भी चलाया जाता है। उस दौरान गांव ( जहां पिछले तीन वर्षों के दौरान कालाजार रोगी प्रतिवेदित हुआ है) के उस घर के चारों ओर 200-250 घरों में जाकर कालाजार के संदेहात्मक मरीज की खोज आशा के माध्यम से की जाती है। यह अभियान साल में दो चक्र में संचालित होता है साथ ही छिड़काव अवधि के दौरान श्रेष्ठ क्षेत्रीय कार्यकर्ता (एस एफ डब्लू) छिड़काव के साथ ही घर घर में पूछते रहते है किसी को बुखार तो नहीं है। सभी फ्रंट लाइन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मियों को आई ई सी (प्रचार प्रसार सामग्री) उपलब्ध कराया गया है, जिसके माध्यम से एक्टिव केस फाइंडिंग या बाद में भी लोगों को जागरूक किया जाता है। साथ ही निजी चिकित्सक, नर्सिंग होम और क्लीनिक सभी से समन्वय बनाया गया है ताकि कही भी कालाजार का संभावित केस प्रतिवेदित होता है तो उसे सरकारी संस्थान पर भेजेंगे। 

    जिला भीबीडी कंसल्टेंट मोहन कुमार ने बताया कि जिले में इंटेमोलॉजी का कार्य भी किया जा रहा है। इसके तहत वैसे गांव जहां विगत पांच वर्षों में कोई भी केस प्रतिवेदित हुआ हो उसमें वेक्टर सर्विलांस किया जाता है। इसमें बालू मक्खी (कालाजार वाहक) का दर पता किया जाता है। आने वाले 2-3 महीनों में सभी वैसे गांव जो पूर्व में कालाजार प्रभावित रहे हैं, उसका इंटेमॉलोजिकल आंकड़ा उपलब्ध रहेगा। इससे और फोकस होकर कार्य किया जा सकेगा। इस आधार पर भी सस्टेनस और मेंटेनेंस के लिए कार्य किया जाएगा।

    कोई भी संदेहात्मक कालाजार मरीज आने पर आर के- 39 से जांच किया जाता है। साथ में एचआईभी, मधुमेह इत्यादि का भी जांच किया जाता है। कालाजार (भीएल) कन्फर्म होने पर चौबीस घंटे के अंदर जिला उपचार केंद्र (सदर अस्पताल) में एंबीज़ोम इंजेक्शन के साथ उपचार किया जाता है। साथ ही 6600 रु मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना और 500 रु एनबीभीडीसी से दिया जाता है। 

    कालाजार जांच की सुविधा सदर अस्पताल सहित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। प्रखंड या पंचायत स्तर पर कोई भी कालाजार जागरूकता अभियान के दौरान पीआरआई को भी जागरूक किया जाता है। अगर कोई कालाजार प्रतिवेदित होता है, जिसके पास पक्का मकान नहीं है तो मुखिया, सरपंच से माध्यम से इंदिरा आवास के तहत पक्के मकान के लिए प्रयास और आग्रह किया जाता है साथ ही कालाजार राहत योजना अंतर्गत भुगतान किया जाता है। कालाजार आक्रांत गांव के स्कूलों में भी विशेष कालाजार कक्षा का आयोजन कर स्कूली बच्चों को- कालाजार क्या है, कैसे होता है और इसका बचाव क्या है कि जानकारी दी जाती है। साथ ही जहां छिड़काव होने वाला हो स्कूल के बच्चों के कॉपी बार छिड़काव तिथि लिख दिया जाता है और बताया जाता है कि घर जाकर अभिभावक को बताना है।

    कालाजार के लक्षण :

    - लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना। 

    - वजन में लगातार कमी होना।

    - दुर्बलता।

    - मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।

    - व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।

    - प्लीहा में नुकसान होता है।

    कालाजार से बचाव:

    -पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने।

    -मच्छड़ रोधी क्रीम का प्रयोग करें।

    -घरों के खिड़कियों और दरवाजों पे जाली का इस्तेमाल करें।

    -सोते समय मच्छड़दानी का प्रयोग करें।

    -आईआरएस चक्र के दौरान निर्धारित मापदंड के अनुसार कीटनाशक का छिड़काव करवाएं।

    -आस-पास स्वच्छता रखें।

    -कालाजार के लक्षण दिखने पर अविलंब नजदीकी सरकारी अस्पताल में संपर्क करें।

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