किसी भी प्रकार का खबर व विज्ञापन के लिए सम्पर्क करे 6201984873

  • Breaking News

    माँ का दूध नवजात शिशु का सर्वोत्तम आहार है जन्म के बाद बच्चे को सिर्फ माँ का ही दूध दें- सीएस

    - जिले में 07 अगस्त तक चलेगा विश्व स्तनपान सप्ताह 

    - स्वास्थ्य व आँगनबाड़ी केंद्रों पर धात्री महिलाओं को बताया गया स्तनपान का तरीका 

    - स्तनपान कराने वाली महिलाओं में टाइप 2 मधुमेह, स्तन कैंसर का खतरा कम होता है 

    मोतिहारी। जिले के मोतिहारी सदर अस्पताल, पकड़ीदयाल, पिपराकोठी, पताही सहित अन्य सभी स्वास्थ्य संस्थानों व आंगनबाडी केंद्रों पर धात्री माताओं को स्तनपान कराने हेतु जागरूक करते हुए स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिले में 01 से 7 अगस्त तक स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा स्तनपान सप्ताह' कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिंह बताया की माँ का दूध नवजात शिशु का सर्वोत्तम आहार होता है इसमें बच्चे को कई प्रकार के विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन मिल जाता है अतः जन्म के बाद बच्चे को सिर्फ माँ का ही दूध देना चाहिए। उन्होंने बताया की बच्चे के जन्म के पहले एक घंटे को ‘गोल्डन ऑवर’ कहा गया है, क्योंकि इस एक घंटे के अंदर बच्चे को स्तनपान कराना काफी महत्वपूर्ण है। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक और मानसिक क्षमता का विकास होता है, साथ ही भरपूर पोषण भी मिलता है।

    स्वास्थ्य व आँगनबाड़ी केंद्रों पर धात्री महिलाओं को बताया गया स्तनपान का तरीका: 

    विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान स्वास्थ्य व आँगनबाड़ी केंद्रों पर धात्री महिलाओं को स्तनपान कराने का तरीका आशा, नर्स, सेविका द्वारा बताया जा रहा है।विश्वस्तनपान सप्ताह अंतर्गत माताओं की बैठक  आशा नीरा सिंह द्वारा आंगन बाडी केन्द्र संख्या 15 वीरछपरा पिपराकोठी में किया गया।इस दौरान सही ढंग से कैसे बच्चे को स्तन पकड़ाए ताकि बच्चे का पेट भर सकें, स्तनपान के दौरान शिशु का मुँह पूरा खुला हो, शिशु का निचला होंठ बाहर की तरफ मुड़ा हो,इस बात को बताया गया।आशा नीरा सिंह ने बताया की आजकल की मॉडल जमाने की माताए स्तनपान नहीं कराती है, बच्चे को डिब्बा बंद या बाहरी दूध का सेवन कराती है जो गलत है। उन्हें यह जानना चाहिए की स्तनपान कराने से कैंसर, मोटापा, बीपी जैसे रोग से महिलाओ की रक्षा होती है। स्तनपान बच्चे के लिए कुदरत का एक अनमोल उपहार है, जो मां और बच्चे दोनों को भावनात्मक लगाव प्रदान करता है। 06 माह तक बच्चे को स्तनपान के अतिरिक्त कुछ नहीं देना चाहिए, 06 माह के बाद मां के दूध के साथ बच्चे को ऊपरी आहार देना शुरू करना चाहिए और कम से कम दो वर्ष तक बच्चे को स्तनपान जारी रखना चाहिए।

    स्तनपान कराने वाली महिलाओं में टाइप 2 मधुमेह, स्तन कैंसर का खतरा कम होता है :

    डॉ सोनाली गुप्ता ने बताया की जो महिलाएं लंबे समय तक स्तनपान कराती हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह और उच्च रक्तचाप के साथ, स्तन कैंसर और डिम्बग्रंथि कैंसर की दर कम होती है।बच्चे के लिए स्तन के दूध में विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक वसा, शर्करा, पानी, प्रोटीन और खनिज की सही मात्रा होती है।यह पचने में आसान होता है। स्तनपान करने वाले शिशुओं को गैस, दूध पिलाने की समस्याएँ और कब्ज कम होती हैं।स्तन के दूध में एंटीबॉडीज होते हैं जो शिशुओं को कुछ बीमारियों से बचाते हैं, जैसे कान का संक्रमण, दस्त, श्वसन संबंधी बीमारियाँ और एलर्जी आदि स्तनपान करने वाले शिशुओं में अचानक शिशु मृत्यु का जोखिम कम होता है।

    No comments

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728