इंजीनियरिंग के छात्रों का टीबी और एचआईवी पर हुआ उन्मुखीकरण
इंजीनियरिंग के छात्रों का टीबी और एचआईवी पर हुआ उन्मुखीकरण
- वर्तमान में टीबी के 1621 मरीज हैं इलाजरत
- एचआईवी में जानकारी ही बचाव
सीतामढ़ी,24 दिसंबर ।
सीतामढ़ी इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गोसाईंपुर में शुक्रवार को इंजीनियरिंग छात्रों का टीबी और एचआईवी पर उन्मुखीकरण हुआ। इस कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों को टीबी और एचआईवी के लक्षण, कारण और उपचार से संबंधित महत्वपूर्ण बातें बतायी गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मनोज कुमार ने कहा कि टीबी और एचआईवी दोनों ही संक्रामक बीमारी है। टीबी पर विस्तारपूर्वक अपनी बात रखते हुए डॉ कुमार ने कहा कि टीबी की पहचान करना बहुत ही आसान है। अगर किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा खांसी है और उसका वजन तेजी से घट रहा या उसे बराबर बुखार और खांसी है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इस बीमारी में उपचार बहुत महत्वपूर्ण है। वहीं एचआईवी भी तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है। यह हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता का ही विनाश करता है। इसके लिए एचआईवी की जांच करा लेनी चाहिए। प्रत्येक एचआईवी पीड़ित एड्स का मरीज नहीं होता। जिले में टीबी के 1621 तथा एचआईवी के 3944 मरीज इलाजरत हैं।
टीबी मरीजों के लिए निक्षय पोषण योजना-
डॉ मनोज ने कहा कि टीबी के उपचाराधीन मरीजों के लिए सरकार निक्षय योजना का लाभ देती है। जिसके अंतर्गत मरीजों को पोषण के लिए 500 रुपये की सहायता राशि दी जाती है। अगर किसी को टीबी के लक्षण के मरीज दिखते हैं तो उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजें। प्रत्येक सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी और एचआईवी का इलाज पूर्णत: मुफ्त है।
छात्रों ने पूछे सवाल-
प्रशिक्षण के उपरांत छात्र-छात्राओं ने उत्सुकता से डॉ मनोज कुमार से सवाल भी पूछे जिसका उन्होंने संतोषजनक जवाब दिया। वहीं नए एवं टीबी मुक्त भारत के निर्माण में छात्रों से अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु संकल्प भी लिया गया। जिसमें छात्रों संग शिक्षकों ने भी अपनी रुचि दिखायी। मौके पर जिला यक्ष्मा केंद्र से अनिल कुमार सिन्हा, लेखापाल रंजन शरण, एसआईपी कॉर्डिनेटर राजेश कुमार सहित अन्य लोगों ने मौजूद रहे।
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