कोविड मरीजों की सेवा करने छोड़ी निजी अस्पताल की नौकरी, सरकारी डॉक्टर बन साबिया निभा रही कर्तव्य
कोविड मरीजों की सेवा करने छोड़ी निजी अस्पताल की नौकरी, सरकारी डॉक्टर बन साबिया निभा रही कर्तव्य
- जिले के स्वास्थ्य सेवाओं में सेवा देकर खुश हैं डॉ साबिया
- अभी सदर अस्पताल के एमसीएच विंग में दे रही सेवा
सीतामढ़ी,30 अक्टूबर । लाखों की सैलरी, प्रतिष्ठित निजी अस्पताल की नौकरी और शानदार जीवन। इस अर्थयुग में किसी भी चिकित्सक का सपना हो सकता है। यह सब डॉ साबिया नाज के पास भी था, पर उनके मन को मातृभूमि के लिए कुछ करने की ललक हमेशा से थी। इसी बीच कोविड काल में हृदय को व्यथित कर देने वाले दृश्यों और खबरों ने डॉ साबिया को अपने मातृभूमि के और नजदीक कर दिया। मौका पाते ही वह 22 मई को सीतामढ़ी के मेजरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थापित हो गयी। अपनी ज्वाइनिंग के चार पांच दिनों के बाद ही उन्हें कोविड केयर अस्पताल भेज दिया गया। जहां साबिया ने न केवल कोविड मरीजों की देखरेख की बल्कि एक परामर्शी की तरह उनके साथ हमेंशा मानसिक तौर से भी जुड़ी रही। वहीं कोविड के मामलों के बाद डॉ साबिया नाज सदर अस्पताल के एमसीएच विंग में अपनी सेवा पूरे जतन के साथ दे रही हैं।
मानसिक और चिकित्सकीय परामर्श से ठीक किए कोविड मरीज -
डॉ साबिया कहती हैं कि हांलाकि मैं दूसरे फेज के समय आयी। कोविड मरीजों की चिकित्सकीय देखभाल तो करती ही थी। उन्हें जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत थी वह मानसिक स्वास्थ्य की थी। इसलिए राउंड के दौरान बातें करना, उन्हें समझाना कि यहां से जाने के बाद वे लोगों को कोविड संक्रमण के बारे में जागरूक करें। टीकाकरण के लिए प्रेरित करें। मैंने उनलोगों को अपना नंबर भी दे रखा था कि कभी भी किसी तरह की तकलीफ होने पर वे चौबीसों घंटे चिकित्सकीय सलाह ले सकते हैं। उसमें एक महिला डायबिटीक भी थी जो धीरे ही सही पर ठीक हो गयी। यहां आकर मैंने फिजिकली जो कोविड मरीजों की सेवा की वह मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ है।
अब सदर अस्पताल के एमसीएच विंग में दे रही सेवा ;
डॉ साबिया कहती हैं यहां से पहले मैं दिल्ली के एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में थी। वहां भी कोविड मरीजो को देखती थी, पर वहां मैं टेलीमेडिसीन सेवा दे रही थी। जिससे मुझे संतोष नहीं था। लगता था मैं डॉक्टर तो बनी पर अपने जिले के लिए कुछ नहीं कर पा रही। जबकि मेरा उद्देश्य था कि मैं वहां पदस्थापित हो जाऊं जहां स्वास्थ्य केंद्र के पास लिमिटेड सोर्स हो ताकि मैं उन्हें बेहतर सेवा उन्हीं के स्थान पर दे सकूं। अभी मैं सदर अस्पताल के मदर एंड चाइल्ड विंग में हूं। जहां मुझे लोगों का उपचार करना मन को सुकुन देता है। शायद यही मेरी और सीतामढ़ी की भी मर्जी है।
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