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    निर्माण श्रमिकों एवं बाल श्रम से मुक्त हुए बच्चों को मिला योजना का लाभ

    विश्व बाल श्रम निषेध दिवस विशेष:


    निर्माण श्रमिकों एवं बाल श्रम से मुक्त हुए बच्चों को मिला योजना का लाभ

    •जिलाधिकारी ने योग्य लाभुकों को दी योजना की धनराशि 

    •बाल श्रम से मुक्त हुए 16 बच्चों को दी गयी 25000 रूपये की सहायता राशि

    •सन्निर्माण कर्मकारों को योजनाओं का मिला लाभ 

    •जिलाधिकारी ने बाल श्रम पर जागरूकता के लिए 6 सूचना रथ को किया रवाना 


    मोतिहारी/ 12, जून:


    विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर शनिवार को श्रम अधीक्षक का कार्यालय संयुक्त श्रम भवन आईटीआई परिसर मोतिहारी में श्रम अधीक्षक के द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक थे। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन जिलाधिकारी श्रम अधीक्षक एवं विमुक्त बाल श्रमिकों के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। 


    श्रम अधीक्षक हुए सम्मानित: 

    वित्तीय वर्ष 2020-21 में श्रम अधीक्षक राकेश रंजन के नेतृत्व में धावा दल के द्वारा कुल-43 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराकर पुनर्वासित कराया गया, जो पूरे बिहार में सर्वाधिक है। इस उत्कृष्ट कार्य हेतु जिलाधिकारी ने श्रम अधीक्षक को  प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। जिलाधिकारी महोदय ने धावा दल के सभी सदस्यों को इस उपलब्धि हेतु बधाई दी तथा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने निदेश दिया गया कि आगे भी इसी प्रकार से काम करते रहें। उन्होंने सभी विमुक्त  बच्चों को शैक्षणिक पुनर्वास सुनिश्चित कराने हेतु जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, सर्वशिक्षा अभियान को निदेशित भी किया।


    16 बाल श्रम से मुक्त हुए बच्चों को दिए गए 25000 रूपये की धनराशी:  

    16 बाल श्रमिकों जो जिले विभिन्न प्रखंडों पकड़ीदयाल-01, चकिया-02, केसरिया-01, रामगढ़वा-03, पताही-02, चिरैया-02, मोतिहारी सदर-01, पीपराकोठी-01, संग्रामपुर-02 एवं घोड़ासहन-01 से है, को 25,000 हजार रूपये प्रति बाल श्रमिक की दर से सावधि जमा की प्रति जिलाधिकारी द्वारा प्रदान की गयी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2016 में बाल श्रम से मुक्त हुए बच्चों को आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से बाल श्रम ट्रैकिंग सिस्टम की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत बाल श्रम से मुक्त हुए ऐसे प्रत्येक बच्चों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25000 रूपये की धनराशि उनके एकाउंट में दी जाती है।


    सन्निर्माण कर्मकारों को विभिन्न  तरह की योजनाओं का मिला लाभ

    बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के विभिन्न योजाओं के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में सन्निर्माण कर्मकारों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया गया. जिसमें मृत्यु लाभ के 15, दाह-संस्कार के 13, मातृत्व लाभ के 06, विवाह सहायता के 17 एवं नकद पुरस्कार के 09 कर्मकार शामिल थे. प्रत्येक वर्ष निबंधित निर्माण श्रमिक के अधिकतम दो संतानों को बिहार राज्य के अधीन किसी भी बोर्ड द्वारा संचालित दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षा में 80% या उससे अधिक, 70 से 79% तक तथा 60 से 69% तक अंक प्राप्त करने पर क्रमशः 25000, 15000 एवं 10000 हजार रूपये की सहायता राशि देने का प्रावधान है.  कुल 60 स्वीकृत आवेदनों में से 23 निबंधित निर्माण श्रमिकों एवं उनके आश्रितों/बच्चों को स्वीकृतादेश की प्रति जिलाधिकारी द्वारा प्रदान की  गयी। योजना के तहत सन्निर्माण श्रमिकों की स्वाभाविक मृत्यु पर उनके परिजनों को 4 लाख रुपये, आकस्मिक मृत्यु पर 2 लाख रुपये , कर्मकारों की दो बेटियों की शादी के लिए 50000-50000 रूपये, महिला श्रमिकों को प्रसव की अवस्था में 90 दिनों की मजदूरी देने का प्रवधान है.


    बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अंतर्गत निबंधित 05 निर्माण श्रमिकों-वकील महतों, श्रीराम महतो, छोटू कुमार राउत, जयमंगल कुमार एवं संजय दास को निबंधन प्रमाण-पत्र की प्रति जिलाधिकारी द्वारा प्रदान किया गया। साथ ही घरेलू कामगारों-रेणू देवी (मोतिहारी सदर), कौशल्या देवी (मोतिहारी सदर), रिंकु देवी (मोतिहारी सदर), गीता देवी, उषा देवी (तुरकौलिया) एवं सुग्गी देवी (तुरकौलिया) को घरेलू निबंधन प्रमाण-पत्र की प्रति जिलाधिकारी  पूर्वी चम्पारण के हाथों से वितरण किया गया।

    परिवरिश योजना के तहत चार बच्चों को रू0 2,000 रूपये (दो महीने की परिवरिश राशि) की सहायता राशि जिलाधिकारी महोदय के द्वारा प्रदान की गई।



    6 सूचना रथों को किया रवाना:


    कार्यक्रम के समापन के बाद जिलाधिकारी ने बाल श्रम के विरुद्ध लोगों को जागरूक करने एवं बच्चों में शिक्षा की महत्ता को उजागर करने के लिए 6 सूचना रथों को रवाना भी किया ।

    डंकन हॉस्पिटल के प्रोजेक्ट मेनेजर समीर दिगल ने बताया कि उनकी संस्था के सहयोग से 6 सूचना रथ को रवाना किया गया है, जो पूरे जिले में घूम-घूम कर बाल श्रम के विरुद्ध लोगों को जागरूक करेगा। साथ ही ऐसे बच्चों के माता-पिता को बाल शिक्षा की जरूरत पर जानकारी भी देगा।  उन्होंने बताया कि बाल श्रमिकों को मुक्त कराने एवं उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनकी संस्था कार्य कर रही है, जिसमें चाइल्ड लाइन इंडिया, प्रथम एवं बचपन बचाओ आन्दोलन, एफिकर संस्था भी सहयोग कर रही है। 

    जिलाधिकारी एवं श्रम अधीक्षक के द्वारा इस अवसर पर संयुक्त श्रम भवन के कैंपस में 5 फलदार पेड़ तथा पांच फूल के पौधे भी लगाए गए जिलाधिकारी का श्रम अधीक्षक के द्वारा सभी छह अनुमंडल में बाल श्रम के विरुद्ध जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार करने हेतु वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया ।


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