ठंढ में बच्चों को निमोनिया जैसे रोग से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी- डॉ श्रवण
- निमोनिया के खतरों की समय पर पहचान होना जरूरी
मोतिहारी। बढ़ती ठण्ड एवं गिरते तापमान के साथ कई बीमारियों का खतरा कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों में बढ़ जाता है। वहीं नवजात व छोटे बच्चों में निमोनिया एवं सांस से जुड़ी बीमारी भी देखी जाती है। बैक्टीरिया, वायरस या फंगस की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। आम तौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया का खतरा होता है, पांच साल से छोटे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए निमोनिया का असर जल्द होता है, यह कहना है जिले के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान का। उन्होंने बताया की बैक्टीरिया से बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया को नियमित टीकाकरण के द्वारा रोका जा सकता है। उन्होंने बताया की नियमित टीकाकरण से बच्चों की इम्युन सिस्टम मजबूत होती है और बच्चे कई गंभीर रोगों से सुरक्षित होते है। उन्होंने बताया की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में सभी आवश्यक टीकाकरण की सुविधा मौजूद है।
संपूर्ण टीकाकरण निमोनिया से करेगा बचाव:
डॉ श्रवण कुमार पासवान ने बताया कि बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है।निमोनिया को दूर रखने के लिए व्यक्तिगत साफ-सफाई जरूरी है। छींकते-खांसते समय मुंह और नाक को ढक लें। समय-समय पर बच्चे के हाथ भी जरूर धोना चाहिए। बच्चों को प्रदूषण से बचाएं और सांस संबंधी समस्या न रहें इसके लिए उन्हें धूल-मिट्टी व धूम्रपान करने वाली जगहों से दूर रखें। बच्चा छह महीने से कम का है, तो नियमित रूप से स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है। भीड़-भाड़ वाली जगह से भी बच्चों को दूर रखें क्योंकि ऐसी जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।
बच्चों के सुरक्षा के लिए ये टीके लगवाने होते हैं जरूरी:
-बच्चे के जन्म लेते ही उन्हें ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी
-डेढ़ महीने बाद ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
-ढाई महीने बाद ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
-साढ़े तीन महीने बाद ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
-नौ से 12 माह में मीजल्स-रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन
-16 से 24 माह में मीजल्स-रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2
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