वैक्सीनेशन के 14 दिनों बाद कर सकते हैं रक्तदान एनबीटीसी की नई गाइडलाइन में की गयी है चर्चा
मोतिहारी, 15 मई।
कोविड आपदा के दौरान रक्तदान में आयी कमी के कारण ब्लड बैंक प्रभावित हुए हैं। ऐसे में युवाओं से रक्तदान के लिए लगातार अपील की जा रही है। कोरोना संकट के बीच आमजन कई अन्य घातक बीमारियों के उपचार में समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनमें ऐसे रोग शामिल हैं जिनके इलाज के लिए मरीज को खून की हमेशा जरूरत होती रहती है। कोविड आपदा खून की कमी से जूझ रहे मरीजों की परेशानी का सबब बन गया है। इस संकटकाल में रक्तदान करने वालों की संख्या में कमी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा रक्तदान करने के प्रति जागरूकता लायी जा रही है।
वैक्सीनेशन के 14 दिन बाद कर सकते हैं रक्तदान:
इस दिशा में स्टेट रिसोर्स यूनिट के मैटरनल हेल्थ ईकाई के टीम लीड डॉ प्रमोद ने लोगों से कोरोना वैक्सीनेशन से पूर्व रक्तदान करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर 18 वर्ष या इससे से अधिक आयुवर्ग के लोगों को टीका लगाया जा रहा है। ऐसे में वैक्सीनेशन के साथ-साथ जरूरतमंदों के लिए रक्त की माँग को पूरा करने हेतु रक्तदान भी आवश्यक है। उनका कहना है कि कोविड संक्रमण काल में भी सुरक्षित रह कर रक्तदान किया जा सकता है। नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यून कांउसिल की नई गाइडलाइन के मुताबिक कोविड टीकाकरण के पहले या दोनों डोज लेने के 14 दिनों बाद रक्तदान किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि रक्तदान किसी भी जरूरतमंद को एक नई जिंदगी दे सकता है।
रक्तदान से शरीर में बनता है नया खून, रहें स्वस्थ्य:
रक्तदान महादान है और कोविड काल में तमाम सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए रक्तदान किया जा सकता है। रक्तदान का कोविड संक्रमण से कोई संबंध नहीं है। रक्तदान के कई फायदे भी हैं। यह शरीर में नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है और आपको स्वस्थ्य रखता है। रक्तदान से ह्रदयाघात की संभावना कम होती है। कोविड काल में रक्तदान करने से पूर्व ब्लड बैंक में संक्रमण से बचाव जैसे मास्क लगाना, सैनिटाइजर या साबुन पानी से हाथों की नियमित धुलाई, शारीरिक दूरी जैसे मानकों का पालन कर रक्तदान किया जा सकता है।
रक्तविकार संंबंधी रोगियों को होती है ब्लड की जरूरत:
रक्तविकार संबंधी कई ऐसी बीमारियां हैं जिसके लिए ब्लड की जरूरत होती है। ऐसे में उनलोगों का ध्यान रखना भी सभी की जिम्मेदारी हो जाती है। रक्तविकार की समस्याओं जैसे थैलीसीमिया, हीमोफीलिया व ब्लड कैंसर से प्रभावित लोगों को रक्त की हमेशा जरूरत होती है। एनीमिया प्रभावित गर्भवती महिलाओं के प्रसव संबंधी जोखिम को कम करने के लिए भी रक्त की जरूरत होती है। अत्यधिक रक्तस्राव से प्रसूता की जान भी जा सकती है। वहीं अन्य प्रकार के सर्जरी के दौरान भी रक्त की जरूरत लोगों को होती है। ऐसे समय के लिए अधिकतर लोग ब्लड बैंक पर ही निर्भर होते हैं। खून की आवश्यकता की पूर्ति तभी संभव है जब ब्लड बैंक में पर्याप्त खून का भंडारण किया गया हो। ऐसे में एक स्वस्थ्य व्यक्ति द्वारा रक्तदान किया जाना महादान माना जाता है।
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