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    जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाइटस (जीडीएम) पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन

    सीतामढ़ी। गर्भावस्था के दौरान होने वाली मधुमेह बीमारी जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाइटस (जीडीएम) की समय पर पहचान एवं प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण सिविल सर्जन सीतामढ़ी डॉ अखिलेश कुमार की अध्यक्षता और प्रभारी अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अजीत कुमार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक असित रंजन, प्रशिक्षक, बीएम एंड ई मनीषा कुमारी, डीईओ मनोज कुमार और पीरामल फाउंडेशन टीम की उपस्थिति में सदर अस्पताल, सीतामढ़ी में संपन्न हुआ।

    प्रशिक्षण में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, जीएनएम, एएनएम एवं लैब तकनीशियन ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान गर्भवती महिलाओं में जीडीएम की स्क्रीनिंग, जांच की प्रक्रिया, ब्लड शुगर टेस्ट, रिपोर्ट की व्याख्या, उपचार प्रबंधन एवं रेफरल प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।

    सिविल सर्जन ने अपने संबोधन में कहा कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की समय पर पहचान नहीं होने से माँ एवं शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने पर बल दिया।

    प्रशिक्षण के दौरान राज्य कार्यालय द्वारा प्रशिक्षित प्रशिक्षकों और स्वास्थ्य विभाग के तकनीकी सहयोगी संस्था पीरामल फाउंडेशन के जिला प्रबंधक प्रभाकर कुमार, कार्यक्रम लीड विकेश कुमार, गांधी फैलो रोमन डाले, और विवेक कुमार द्वारा तकनीकी सहयोग प्रदान किया गया तथा प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य जिले में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना एवं सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देना रहा।

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