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    कालाजार रोगियों का किया जा रहा फिजिकल फॉलो-अप

    -इस वर्ष अभी तक 186 कालाजार मरीज मिले

    -इस पहल से कालाजार रोगियों को उचित इलाज और देखभाल में मिलेगी मदद 

    वैशाली। जिले में कालाजार रोगियों के फिजिकल फॉलो-अप के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर कालाजार और मलेरिया डॉ एन. के. सिन्हा के निर्देश पर वर्ष 2020 से 2025 तक के सभी कालाजार रोगियों का फिजिकल फॉलो-अप सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।

    वैशाली जिले के 16 प्रखंडों में वर्ष 2025 में अब तक कुल 186 कालाजार रोगी दर्ज किए गए हैं। डीभीबीडीसीओ डॉ गुड़िया कुमारी द्वारा पिरामल टीम को 8 प्रखंड - महनार, राघोपुर, गोरौल, भगवानपुर, बिदुपुर, लालगंज, हाजीपुर और वैशाली में 87 मरीजों का दायित्व सौंपा गया था, जिसमें पिरामल टीम, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी और स्वास्थ्य कर्मी के संयुक्त प्रयास से फिजिकल फॉलो-अप कार्य संपादित किया गया।

    इस अवधि के दौरान कुल 78 कालाजार रोगियों का फिजिकल फॉलो-अप किया गया, जिनमें से चार संभावित भीएल और एक संभावित पीकेडीएल रोगी पाए गए, जबकि शेष 73 रोगी स्वस्थ पाए गए। पिरामल और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कालाजार रोगियों के गांव में संभावित रोगियों की खोज भी की। इस पहल से कालाजार रोगियों को उचित इलाज और देखभाल में मदद मिल सकेगी। जिससे उनकी सेहत में सुधार हो सकेगा। वैशाली जिले में कालाजार रोग के खिलाफ इस पहल को सफल बनाने के लिए पिरामल और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार काम कर रहे हैं।

    डॉ गुड़िया कुमारी ने बताया कि कोई भी संदेहात्मक कालाजार मरीज आने पर आर के- 39 से जांच किया जाता है। साथ में एचआईभी, मधुमेह इत्यादि का भी जांच किया जाता है। कालाजार (भीएल) कन्फर्म होने पर चौबीस घंटे के अंदर जिला उपचार केंद्र में उपचार किया जाता है। साथ ही 6600 रु मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना और 500 रु एनबीभीडीसी से दिया जाता है। 

    कालाजार जांच की सुविधा सदर अस्पताल सहित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। प्रखंड या पंचायत स्तर पर कोई भी कालाजार जागरूकता अभियान के दौरान आमजनों सहित स्कूली बच्चों और पीआरआई सदस्यों को भी जागरूक किया जाता है। 

    कालाजार के लक्षण :

    - लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना। 

    - वजन में लगातार कमी होना।

    - दुर्बलता।

    - मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।

    - व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।

    - प्लीहा में नुकसान होता है।

    कालाजार से बचाव:

    -पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने।

    -मच्छड़ रोधी क्रीम का प्रयोग करें।

    -घरों के खिड़कियों और दरवाजों पे जाली का इस्तेमाल करें।

    -सोते समय मच्छड़दानी का प्रयोग करें।

    -आईआरएस चक्र के दौरान निर्धारित मापदंड के अनुसार कीटनाशक का छिड़काव करवाएं।

    -आस-पास स्वच्छता रखें।

    -कालाजार के लक्षण दिखने पर अविलंब नजदीकी सरकारी अस्पताल में संपर्क करें।

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