नाइट ब्लड सर्वे पर लैब टेक्निशियन का प्रशिक्षण हुआ संपन्न
-सटीक माइक्रोफाइलेरिया रेट का लगेगा पता
-सही तकनीक से जांच के बाद सैंपल का निस्तारण भी महत्वपूर्ण
मुजफ्फरपुर। नाइट ब्लड सर्वे के सैंपल की सही जांच और सटीक माइक्रोफाइलेरिया रेट को जानने के लिए गुरुवार को सदर अस्पताल सभागार में 16 प्रखंड और 4 शहरी यूपीएचसी के लैब टेक्निशियन को प्रशिक्षण दिया गया। मालूम हो कि आगामी 10 फरवरी से पूरे जिले में सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाएगा। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार ने बताया कि इससे पहले जिले में नाइट ब्लड सर्वे का कार्य किया जाता है, ताकि प्रखंडवार माइक्रोफाइलेरिया की दर का पता लगाया जा सके। माइक्रोफाइलेरिया की सही दर का पता लगने से एमडीए/आईडीए अभियान के लिए माइक्रो प्लान तैयार में सहुलियत होती है। डॉ कुमार ने कहा कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य लैब तकनीशियन को माइक्रो फ़ाइलेरिया की पहचान एवं प्रयोगशाला में माइक्रो फ़ाइलेरिया दर के सटीक आकलन पर केन्द्रित है।
प्रशिक्षण डीभीबीडीसीओ डॉ सुधीर कुमार, डीपीएम रेहान अशरफ और डब्लूएचओ की जोनल कॉर्डिनेटर डॉ माधुरी देवराजू ने संयुक्त रूप से दिया। प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने एलटी को बताया कि स्लाइड पर रक्त के सैंपल को हमेशा बाहर से अंदर की ओर अंडाकार आकृति बनाते हुए ले जाएं। इसके अलावा सैंपल को सिर्फ छांव या हवा में सुखाएं। कभी भी सैंपल को धूप में सुखाने के लिए नहीं देना है। इसके अलावा डॉ माधुरी ने जांच की रिपोर्टिंग के बारे में भी लैब टेक्निशियन को बताया।
सैंपल का निष्पादन महत्वपूर्ण:
प्रशिक्षण के दौरान डॉ माधुरी ने बताया कि सैंपल की जांच जितना सटीक होना चाहिए। उसका निष्पादन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सैंपल को खुले स्थान पर फेंकने से उस स्लाइड से संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है। इसलिए उसे हमेशा पहले से निर्धारित बंद डिब्बे में डाले। बताया कि रैंडम और सेंटिनल साइट के स्लाइड को आर और एस से इंगित कर देना है। किसी भी सैंपल देने वाले लोगों से उंगली को दबाकर खून के सैंपल नहीं लेना है। रक्त को मुक्त अवस्था में स्लाइड पर लेना है।
संभावित फाइलेरिया मरीजों का पता लगाने के लिए एनबीएस है महत्वपूर्ण:
डीपीएम रेहान अशरफ ने बताया कि संभावित मरीजों का पता लगाने के लिहाज से सर्वे बेहद महत्वपूर्ण है। शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का उचित माध्यम है। चयनित प्रखंड के दो सत्रों का चुनाव किया जाएगा जहां से 300 - 300 साइड रक्त के नमूने का संग्रह किया जाएगा। यह सर्वे रात में 8:30 के बाद एवं 12:00 बजे के पहले किया जाएगा। दोनों सत्र स्थल में से किसी एक स्थल में माइक्रोफाइलेरिया का दर एक या एक से अधिक होगा तो उस प्रखंड में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। वहीं औराई प्रखंड में पिछली बार माइक्रो फाइलेरिया दर शून्य आने के कारण वहां इस बार प्री-टास एक्टिविटी होगा। फिर अभियान के बाद उक्त प्रखंड में माइक्रोफाइलेरिया का प्रसार है या नहीं इसकी सत्यता की जांच के लिए प्री-टास किया जाएगा। नाइट ब्लड सर्वे एमडीए राउंड से एक या डेढ़ माह पूर्व व अभियान खत्म होने के 6 माह बाद किया जाता है। एक महीना पूर्व करने का तात्पर्य है लोगों में माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण है या नहीं उस जगह का चुनाव करने के लिए करते हैं। 6 माह के बाद एमडीए राउंड का प्रभाव कितना हुआ यह देखने के लिए किया जाता है।
मौके पर डॉ सुधीर कुमार, डीपीएम रेहान अशरफ, डॉ माधुरी देवराजू, भीडीसीओ राकेश कुमार, भीबीडीएस राजीव कुमार, रामकुमार, पीरामल से इफ्तिखार अहमद खान, सीएफएआर डीसी नीतू कुमारी सहित अन्य लोग भी मौजूद थे।
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