जिला समाहरणालय परिसर में फाइलेरिया उन्मूलन हेतु एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
- फाइलेरिया से बचाव को जागरूकता है बहुत जरूरी- उप विकास आयुक्त
मोतिहारी। फाइलेरिया( हाथी पाँव) के उन्मूलन के लिए जन समुदाय को जागरूक करने के उद्देश्य से जिला समाहरणालय परिसर में फाइलेरिया उन्मूलन हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन समुदाय एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग, एम्स पटना के तत्वावधान में विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय पांडेय के मार्गदर्शन में, जिला स्वास्थ्य समिति (डीएचएस), बेगूसराय के सहयोग से तथा विमेंस कलेक्टिव फोरम के सहयोग से आयोजित की गई। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य फाइलेरिया उन्मूलन से संबंधित बाधाओं एवं चुनौतियों की पहचान करना तथा भविष्य की रणनीतियों का निर्धारण करना था।कार्यशाला का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव,जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चंद्र शर्मा, सीडीओ डॉ संजीव, डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यशाला का संचालन प्रो. डॉ. संजय पांडेय (समुदाय एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग, एम्स पटना) द्वारा किया गया, मौके पर सीएस डॉ.रविभूषण श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान बहुत से लोग आशा कार्यकर्ताओं द्वारा दी जाने वाली फाइलेरिया-रोधी दवा खाने से इनकार कर देते हैं। यह गलती उन्हें बीमारी के करीब ले जाती है, जिससे न केवल शारीरिक हानि होती है बल्कि आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।वहीं उप विकास आयुक्त डॉ प्रदीप कुमार ने लोगों से अपील की कि अभियान के दौरान सभी लोग दवा का सेवन अवश्य करें, तभी जिले से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव होगा।डॉ. संतोष कुमार निराला (सहप्राध्यापक, एम्स पटना) ने बताया कि फाइलेरिया जैसी संक्रामक बीमारी केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में फैली हुई है। भारत में यह बीमारी 20 राज्यों के 348 जिलों में फैली है। इस रोग को समाप्त करने के लिए समुदाय के बीच मौजूद समस्याओं को समझना और उनका प्रबंधन करना बेहद जरूरी है। इसी उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गई। राज्य फाइलेरिया सलाहकार अनुज सिंह रावत ने कहा कि बिहार समेत पूरे भारत से वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए सभी को अपनी सकारात्मक भूमिका निभानी होगी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक परजीवी कृमियों से होने वाला संक्रमण है, जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। यह एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग है, जो लिम्फेटिक सिस्टम को प्रभावित करता है। इसके परिणामस्वरूप हाथ-पैर, जननांग और स्तनों में सूजन आ जाती है, जिसे हाथीपांव के नाम से जाना जाता है।
डॉ. सुभाष झा (जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी) ने बताया कि जिले के दो प्रखंडों में रोगी हितधारक मंच फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सक्रिय हैं। इनके सदस्य समुदाय में जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।यह कार्यशाला में एक पैनल चर्चा भी शामिल थी, जिसका संचालन डॉ. बिजया नंद नाइक, एसोसिएट प्रोफेसर, सामुदायिक एवं परिवार चिकित्सा विभाग, एम्स पटना ने किया।इस पैनल में विभिन्न हितधारक शामिल हुए और एल.एफ. (लिम्फेटिक फाइलेरियासिस) उन्मूलन से संबंधित चुनौतियों और बाधाओं के साथ-साथ उनके समाधान खोजने का प्रयास किया गया। कार्यशाला में एल.एफ. रोगियों और आशा फाइसीलिटेटर, सीएचओ, पिरामल, सिफार के डिस्टिक लिड ने भी अपने अनुभव और विचार साझा किए।
इस मौके पर पटना एम्स के सीनियर रेजिडेंट डॉ. दीपिका अग्रवाल, डॉ. संतोष निराला,व टीम, डब्लूएचओ, पिरामल, सी 3, आई सीडीएस, पंचायती राज, नगर निगम, जीविका के प्रतिनिधि उपस्थित थें।
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