किसी भी प्रकार का खबर व विज्ञापन के लिए सम्पर्क करे 6201984873

  • Breaking News

    टीबी मुक्त जिला बनाने के लिए लोगों को जागरूक कर रहें है संतोष

    - टीबी चैंपियन बन समुदाय के साथ ही स्कूल के बच्चों को बचाव की देते है जानकारी 

    - 18 महीने की नियमित दवा सेवन से "एमडीआर टीबी" से बची जान 

    - राज्य स्तर पर हो चुके है सम्मानित

    मोतिहारी। पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया प्रखंड के हरबोलवा, कपूर पकड़ी पंचायत, निवासी टीबी चैंपियन 25 वर्षीय संतोष एमडीआर टीबी से छुट्कारा पाकर अब प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान अन्तर्गत समुदाय के लोगों व विद्यालय के बच्चों को जागरूक करने में लगे है। अपनी आपबीती बताते हुए संतोष कहते है की पिछले वर्ष के मध्य मे ज़ब उनकी तबियत बहुत खराब हुई उस वक्त वो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहें थे, एक तरफ परीक्षा का टेंशन तो दूसरी ओऱ स्वास्थ्य की परेशानी, संतोष परेशान हो गया। उसे खांसी के साथ, बार-बार बुखार लग रहा था, कमजोरी के साथ वजन मे कमी और चेहरे की रंगत बदल रहीं थीं तब उसने स्थानीय दवाखाने से दवा ली परन्तु आराम नहीं हुआ, तब वह निजी चिकित्सक के पास पहुंचे। परन्तु स्वास्थ्य ठीक नहीं हुआ, वजन 50 किलो लगभग हो गया, इसी बीच लोगों के कहने पर उसने झाड़- फुक करवाए पर कोई फायदा नहीं हुआ। उसके बाद संतोष ने पीएचसी जाकर जाँच कराया तब उसे यक्ष्मा रोग की जानकारी मिली, आसपास के स्वास्थ्य कर्मियों के कहने पर जिला यक्ष्मा केंद्र के अरविन्द कुमार से मिला, तो उन्होंने सीबी नट जांच कराई तब रिपोर्ट में अगले दिन "एमडीआर टीबी" का पता चला जो सही समय पर दवाओं के न खाने के कारण हुआ, अब 18 महीने तक यक्षमा की दवा चली इसी बीच उसके पिता भी असावधानी के कारण टीबी की चपेट मे आए गए। परन्तु वे 6 माह की दवाओं के सेवन से जल्द स्वस्थ हो गए। इस घटना से संतोष के मन में अब टीबी के प्रति आम जनों को जागरूक करने का ख्याल आया। उसने लगभग 150 लोगों की जाँच एवं दो दर्जन लोगों को इलाज में मदद किया, जिससे लोगों को टीबी के बारे में जानकारी हुई। संतोष ने कहा की दवाओं के पूरी कोर्स के साथ संतुलित भोजन पर ध्यान दिया जाए तो एमडीआर जैसे खतरनाक टीबी को भी मात दिया जा सकता है।

    टीबी चैंपियन बन लोगों को कर रहा है जागरूक:

    पूरी तरह से स्वस्थ संतोष को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चूका है। संतोष ने ग्रामीणों को बताया की टीबी मरीजों से नफ़रत करने की जगह सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि यह किसी को हो सकता है। इससे बचाव के लिए समय पर टीबी की पहचान बहुत जरूरी है। दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, बुखार, वजन मे कमी हो तो जाँच जरूर कराए, अगर टीबी हो गया तो भी न घबराए, दवाओं का पूरा सेवन से लोग ठीक हो जाते है। संतोष प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत गाँव, समुदाय, स्कुल मे बच्चों को भी टीबी के प्रति जागरूक करते है।

    No comments

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728