नाइट ब्लड सर्वे पर लैब टेक्निशियन का प्रशिक्षण हुआ समाप्त
-शिवहर के छह प्रखंड के लैब टेक्नीशियन भी हुए शामिल
-सटीक माइक्रोफाइलेरिया रेट का लगेगा पता
मुजफ्फरपुर। नाइट ब्लड सर्वे के लिए एसकेएमसीएच में दो दिनों से चल रहे लैब टेक्निशियन का प्रशिक्षण गुरुवार को समाप्त हो गया। गुरुवार को हुए प्रशिक्षण में शिवहर के छह प्रखंड के लैब टेक्निशियन को भी प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण एसकेएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ पूनम ने दिया। प्रशिक्षण के दौरान डॉ पूनम ने बताया कि रैंडम और सेंटिनल साइट के स्लाइड को आर और एस से इंगित कर देना है। किसी भी सैंपल देने वाले लोगों से उंगली को दबाकर खून के सैंपल नहीं लेना है। रक्त को मुक्त अवस्था में स्लाइड पर लेना है। डॉ पूनम ने कहा कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य लैब तकनीशियन को माइक्रो फ़ाइलेरिया की पहचान एवं प्रयोगशाला में माइक्रो फ़ाइलेरिया दर के सटीक आकलन पर केन्द्रित है। इसलिए लैब तकनीशियन को इसके लिए ख़ास तौर पर स्लाइड बनाना, उसको स्टेन करना, स्मीयर इकठ्ठा करना एवं जब रक्त स्लाइड पर लें तो उसे अंडाकार बनाना आदि सिखाया गया ताकि माइक्रो फ़ाइलेरिया को पहचानने में किसी प्रकार की त्रुटि न हो।
संभावित फाइलेरिया मरीजों का पता लगाने के लिए एनबीएस है महत्वपूर्ण:
संभावित मरीजों का पता लगाने के लिहाज से सर्वे बेहद महत्वपूर्ण है। शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का उचित माध्यम है। चयनित प्रखंड के दो सत्रों का चुनाव किया जाएगा जहां से 300 - 300 साइड रक्त के नमूने का संग्रह किया जाएगा । यह सर्वे रात में 8:30 के बाद 20 वर्ष से ऊपर के लोगों के रक्त के नमूने लिया जाएगा। दोनों सत्र स्थल में से किसी एक स्थल में माइक्रोफाइलेरिया का दर 1 या 1 से अधिक होगा तो उस प्रखंड में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। अगर माइक्रोफाइलेरिया का दर एक से कम होगा तो वहां एमडीए अभियान नहीं चलाया जाएगा। फिर अभियान के बाद उक्त प्रखंड में माइक्रोफाइलेरिया का प्रसार है या नहीं इसकी सत्यता की जांच के लिए फ्री- टास किया जाएगा। नाइट ब्लड सर्वे एमडीए राउंड से 1 या डेढ़ माह पूर्व व अभियान खत्म होने के 6 माह बाद किया जाता है। एक महीना पूर्व करने का तात्पर्य है लोगों में माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण है या नहीं उस जगह का चुनाव करने के लिए करते हैं। 6 माह के बाद एमडीए राउंड का प्रभाव कितना हुआ यह देखने के लिए किया जाता है।
मौके पर एचओडी माइक्रोबायोलॉजी विभाग, एस के एम सी एच डॉ पूनम, डॉ कुमारी मिलन, पीरामल के इफ्तिखार अहमद खान, सृष्टि वर्मा, संजीव कुमार के अलावा अन्य लोग भी मौजूद थे।
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