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    निजी विद्यालयों में बढ़ाई जाएगी नेशनल डिवार्मिंग डे पर भागीदारी

    - 2319 सरकारी तथा 451 प्राइवेट स्कूल है जिले में 

    - एक से 19 वर्ष तक के कुल 19 लाख 38 हजार बच्चे और किशोर को खिलाई जाएगी अलवेंडाजोल की गोली

    वैशाली। एक से 19 वर्ष तक के बच्चों में एनीमिया, कुपोषण तथा उनके शारीरिक विकास में बाधा बनने वाले कृमि के निवारण के लिए 22 सितंबर को राष्ट्रीय कृमि दिवस के दिन एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी और 27 सितंबर को इसका मॉप अप राउंड चलाया जाएगा। यह गोली एक से 19 वर्ष तक के बच्चों में उनके उम्र के अनुसार खिलाई जाएगी। ये बातें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ उदय नारायण सिन्हा ने एनडीडी के जिला समन्वय समिति की बैठक में कही, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी यशपाल मीणा ने की। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय कृमि दिवस में प्राइवेट स्कूलों की सहभागिता बढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि इस बार जिले के 451 प्राइवेट स्कूलों में माइक्रोप्लान के अनुसार अलवेंडाजोल की गोली खिलाई जाए और उसका अनुश्रवण भी निश्चित हो पाए इसके लिए संबंधित प्रखंड के पदाधिकारी जरूर ध्यान दें। निजी विद्यालयों के अलावा जिले में 2319 सरकारी स्कूलों के बच्चों को दवा खिलाई जाएगी। मालूम हो कि जिले में जिस आबादी को अलवेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी उसकी संख्या 19 लाख 38 हजार है। 

    डब्ल्यूएचओ फैक्टशीट (2020) के अनुसार दुनिया भर में 150 करोड़ से अधिक लोग, या दुनिया की आबादी का 24 प्रतिशत एसटीएच संक्रमण से संक्रमित हैं।

    घर नहीं ले जा सकेंगे दवा:

    डीसीएम निभा रानी सिन्हा ने बताया कि स्कूलों, आंगनबाड़ी तथा लक्षित आयु वर्गों में जिस वक्त दवा बांटी जाएगी उसी वक्त उन्हें यह दवा खानी होगी। दवा को घर ले जाने की अनुमति नहीं होगी। वहीं किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए सभी प्रखंडों में आरबीएसके की टीम उपस्थित रहेगी। 

    जिला समन्वय समिति की बैठक में सीएस डॉ श्यामनंदन प्रसाद, एसीएमओ, डीआइओ डॉ उदय नारायण सिन्हा, डीएमएंडएनई, डीपीएम डॉ कुमार मनोज, डीसीएम निभा रानी सिन्हा, डीएएम, सीडीपीओ, जीविका तथा प्राइवेट स्कूलों के प्रतिनिधि समेत यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ और एविडेंस एक्शन की टीम स्टेट से अरुण कुमार व अरविंद कुमार समेत अन्य उपस्थित थे।

    कृमि संक्रमण के लक्षण:

    गंभीर कृमि संक्रमण से दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख ना लगना सहित कई सारे लक्षण हो सकते हैं। बच्चे में कृमि की मात्रा जितनी अधिक होगी, उसमें संक्रमण के लक्षण उतने ही अधिक होंगे। हल्के संक्रमण वाले बच्चे, किशोरों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।

    डीवार्मिंग के फायदे:

    रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि। 

    स्वास्थ्य और पोषण में सुधार।

    एनीमिया में नियंत्रण।

    समुदाय में कृमि के फैलाव में कमी।

    सीखने की क्षमता और कक्षा में उपस्थिति में सुधार। 

    वयस्क होने पर काम करने की क्षमता और आय में बढ़ोतरी।

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