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    कालाजार मुक्त जिला बनाने को लेकर संभावित मरीजों की हो रही है खोज

    -आशा सुमित्रा महादलित टोले में कर रहीं है घर-घर कालाजार मरीजों की खोज

    - 21 जून से कालाजार मरीजों की खोज को जिले में चल रहा है अभियान

    मोतिहारी। जिले के कालाजार से प्रभावित 26 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के 150 राजस्व ग्रामों में आशा कार्यकर्त्ताओ के द्वारा कालाजार मरीज़ों की खोज की जा रही है। ताकि जिले के छुपे हुए कालाजार मरीजों का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर जिले को कालाजार मुक्त बनाया जा सके। वहीं स्वास्थ्य विभाग के इस अभियान में भीषण गर्मी के वावजूद मोतिहारी सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र के बासमानपुर के वार्ड नंबर 16 महादलित टोले में आशा सुमित्रा कुमारी घर घर जाकर कालाजार के संभावित मरीजों की खोज कर रही हैं। ताकि लोगों के शरीर में छुपे हुए कालाजार के लक्षणों को चिह्नित कर संभावित मरीजों का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर जिले को कालाजार मुक्त बनाया जा सके। कालाजार रोगी खोज अभियान के दौरान सुमित्रा घरों में घूमकर लीफलेट के साथ कालाजार एवं पीकेडीएल (चमड़ी वाला कालाजार ) के लक्षणों की जानकारी देते हुए बीमारियों के लक्षणों की पूछताछ करती और इससे बचाव के  तरीकों के बारे में जागरूक करती हैं। वह बताती हैं कि कालाजार बालू मक्खी के काटने के कारण होता है।

    लक्षण व बचाव का बताती हैं तरीका: 

    सुमित्रा कुमारी बताती हैं कि किसी व्यक्ति को अगर रुक-रुक कर बुखार आता है, भूख कम लगता है, शरीर में कालापन और वजन घटना, तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली होना और बाल झड़ता हो तो कालाजार की जाँच आर के 39 किट से कराएं या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर निःशुल्क इलाज कराएं। वह बताती हैं कि लोग कालाजार होने के वावजूद इसे आम बुखार समझकर सामान्य दवा खाते हैं। जिससे कालाजार ठीक होने की जगह गंभीर हो जाता है। सुमित्रा ने महादलित टोला के लोगों को बताया कि कालाजार के फैलाव को रोकने के लिए वर्ष में दो बार कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। ताकि रोग का वाहक बालू मक्खी मर जाए। उन्होंने लोगों को आसपास साफ सफाई रखने एवं मच्छरदानी का प्रयोग करने की नसीहत दी है।

    21 जून से जिले में चल रहा है अभियान:

    जिले के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चंद्र शर्मा ने  बताया कि 21 जून से जिले में कालाजार खोज अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत आशा  कार्यकर्ता संभावित कालाजार के रोगियों की खोज कर रही हैं। उन्होंने बताया कि नवंबर 2022 तक कालाजार के 42 एवं पीकेडीएल के 14 रोगी मिले थे जिनका उपचार किया गया।

    बैनर पोस्टर, माइक के साथ चल रहा जागरूकता अभियान:

    माइकिंग, बैनर पोस्टर के साथ जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को कालाजार के लक्षण, इलाज के बारे में जानकारी दी जा रही है ताकि कालाजार का उन्मूलन हो। डॉ शर्मा ने बताया कि भीएल का इलाज चकिया, मधुबन, सदर अस्पताल में किया जाता है। वहीं पीकेडीएल की जाँच की सुविधा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। वहीं पीकेडीएल के मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है।

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