रंभा की युक्ति से मिली गांव अदौरी को कालाजार से मुक्ति
रंभा की युक्ति से मिली गांव अदौरी को कालाजार से मुक्ति
- अब पूरा अदौरी पंचायत हो चुका है कालाजार से मुक्त
- पूरा इलाज कराकर मरीजों के साथ लौटती थी घर
शिवहर, 28 दिसंबर । कभी कालाजार बुखार में झाड़ फूंक करवाने वाला अदौरी गांव आज कालाजार मुक्त गांव है। अब यहां बुखार होने पर लोग अस्पताल जाते हैं। यह परिवर्तन न ही अचानक हुआ और न ही यहां के लोगों के हृदय परिवर्तन के कारण। यह पूरा परिदृश्य अदौरी गांव की आशा रंभा के कारण है। जो उनकी जागरूकता और सर्तकता से ही संभव हो पाया है। ईश्वर ने पति छीना तो रंभा ने पूरे गांव को ही अपना परिवार मान लिया और लग गयी लोगों को स्वस्थ्य रखने की मुहिम में। रंभा कहती हैं हरिजन टोला ज्यादा होने के कारण मिट्टी के घर गांव में ज्यादा हैं। ऐसे में कालाजार यहां सामान्यत: किसी को भी हो जाती थी। वहीं यह भी देखती थी कि बीमारी कुछ भी हो लोग सीधे तंत्र और झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ते थे। यह देखकर मैं लोगों को समझाने लगी। मैं कहती थी कि पहले मेरे साथ अस्पताल चलो अगर सुधार न हो तब मेरी बातों में विश्वास न करना। धीरे -धीरे सभी को कालाजार और उसके इलाज पर लोगों का विश्वास बढ़ गया और अदौरी गांव कालाजार मुक्त हो सका।
रात में बैठकर मरीजों का कराती थी इलाज -
रंभा कहती हैं कि कालाजार के मरीजों को 5 घंटे तक एक दवा धीरे -धीरे चढ़ती है। ऐसे मे ऐसी कई रातें आयी जब सदर अस्पताल में मरीजों को रात भर दवा चढ़वाती और घर पर भी उसकी छह महीने तक फॉलोअप करती थी। बुखार होने पर लोग इसे टीबी भी समझते थे। मैं सदर अस्पताल लोगों को साथ लेकर जाती थी। वहां डॉक्टर से दिखाकर उनकी सारी तरह ही जांच कराती थी। इससे गांव वालों को स्वास्थ्य लाभ तथा संतुष्टि दोनों ही मिलती थी।
जब बाहर से आया कालाजार -
रंभा कहती हैं कि गांव का एक व्यक्ति जो किसी बड़े शहर में दिहाड़ी करता था। उसे वहां दो महीने से बुखार ने परेशान कर दिया था। इसी दिसंबर में अदौरी आया । उसके पिता के कहने पर मैंने उसका टीबी और कालाजार का टेस्ट कराया। उसकी कालाजार की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। इलाज चला। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है, पर उसका छह महीने तक मुझे लगातार फॉलोअप करना है।
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