32 चिन्हित जिलों में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की करेंगी पहचान: डॉ अंजनी कुमार
32 चिन्हित जिलों में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की करेंगी पहचान: डॉ अंजनी कुमार
•सात दिनों तक चलेगा अभियान, मरीजों को बेहतर इलाज के लिए रेफर किया जायेगा
•15 दिनों तक बुखार होने पर कालाजार का हो सकता है खतरा
मोतिहारी 27 दिसंबर। कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विभिन्न स्तर पर कार्य किये जा रहें है। इसी कड़ी में राज्य के चिन्हित 32 जिलों में कालाजार मरीज खोज अभियान की शुरूआत की गयी है। राज्य के छह जिले गया, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर तथा जमुई में विगत कुछ वर्षों से कालाजार का प्रभाव नहीं रहा है। इसलिए इन 6 जिलों को छोड़कर बाकी जिलों में कालाजार रोगी खोज अभियान चलायी जा रही है। अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की पहचान की जा रही है।
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि कालाजार रोगी खोज के दौरान आशा कार्यकर्ता संभावित लक्षणों की पहचान करेगी। जिसमें 15 अथवा 15 दिनों से अधिक बुखार से पीड़ित व्यक्ति शामिल होंगे। चिन्हित व्यक्तियों की डॉक्टर द्वारा जाँच की जाएगी एवं उनकी सलाह पर ही संभावित मरीजों की पहचान के लिए आरके 39 किट द्वारा जाँच की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति ने कालाजार का ईलाज पूर्व में कराया हो फिर भी उनमें बुखार के साथ कालाजार के लक्षण पाये जाते हैं तो चिकित्सक की सलाह पर उन्हें आरके-39 किट से जॉच न करते हुए बोन मैरो या स्पलीन जॉच के लिए आशा द्वारा उन मरीजों को सदर अस्पताल रेफर किया जाएगा है तथा उनके नाम की प्रविष्टी रेफरल पर्ची में भरी भी जाएगी।
15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ राजेश पांडेय के अनुसार कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार होने पर कालाजार का संदेह किया जाना चाहिए। इसके बाद ऐसे संदेह वाले रोगियों का चिकित्सक द्वारा जाँच करने के बाद आरके 39 या बोन मैरो या स्प्लीनिक एस्पिरेशन के जरिए कालाजार की जाँच होती है। जिसमें आरके 39 सामान्य जाँच है।जबकि कालाजार के पूर्व रोगीयों में बोन मैरो या स्प्लीनिक एस्पिरेशन के बाद ही कालाजार की पुष्टि होती है। वैसे व्यक्ति जिन्हे बुखार न हो लेकिन उनके शरीर के चमड़े पर चकता, दाग या गाँठ हो किन्तु उसमें सूनापन एवं खुजली न हो तथा वे पूर्व में कालाजार से पीड़ित रहे हों, वैसे व्यक्तियों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर डॉक्टर द्वारा जाँच करानी चाहिए। क्योंकि यह कालाजार का एक विशेष प्रकार है जो पीकेडीएल के नाम से जाना जाता है। इसमें गाँठ या दाग के अलावा कुछ नहीं होता है। इसलिए ऐसे मरीजों में जाँच के बाद पीकेडीएल की पुष्टि होने पर गाइडलाइन के अनुसार ईलाज कराया जाना जरुरी है, क्योंकि ऐसे मरीजों से कालाजार प्रसार का खतरा समान रूप से बना रहता है।
आशा को मिलेगी प्रोत्साहन राशि:
प्रतिदिन घर-घर रोगी खोज में पाये गये संभावित रोगियों, धनात्मक रोगियों एवं ईलाज सम्पन्न कराने वाले रोगियों की संख्या को वीबीडीएस द्वारा केएएमआईएस सॉफ्टवेयर में प्रविष्ट किया जाना है। इसके लिए वीबीडीएस को एक मुश्त 100 रूपये का प्रावधान किया गया है। एक आशा, वार्ड हेतु आंगनबाड़ी द्वारा प्रतिदिन मात्र 50 घरों में ही खोज किया जाना है। अधिकतम 250 घरों में रोगी खोज करने पर उन्हें प्रोत्साहन राशि के रूप में एक मुश्त 200/- रू० की दर से भुगतान किया जायेगा।
जिला एवं पीएचसी स्तर पर नि:शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध:
कालाजार मरीजों के इलाज की सुविधा पीएचसी स्तर एवं जिला स्तर पर नि:शुल्क उपलब्ध है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पी के डी एल मरीजों के पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी दी जायेगी।
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