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    कोविड19 के दोनों डोज़ लेने के कारण बची जान: अवनीश कुमार

    कोविड19 के दोनों डोज़ लेने के कारण बची जान: अवनीश कुमार


    - मजबूत इरादों के बल पर 10 दिनों में कोरोना को दी मात  

    - कोरोना किट व आयुर्वेदिक दवाओं का किया  उपयोग

    - होम आइसोलेशन में रहकर भी दूरभाष द्वारा की मरीजों की सेवा


    मोतिहारी, 18 जून।

    पकड़ीदयाल अनुमंडलीय अस्पताल में कार्यरत 51 वर्षीय स्वास्थ्य प्रबंधक अवनीश कुमार के दिल में सेवा का जोश व जज्बा बराबर देखने को मिला है। वे लगातार अस्पताल की व्यवस्था का संचालन के साथ मरीजों को मिल रही सुविधाओं का ख्याल बखूबी निभाते आए हैं। चाहे स्थिति विकट ही क्यों न हो? प्रतिदिन अस्पताल के सामान्य मरीजों व कोरोना पीड़ित मरीजों की हालातों का जायजा लेना व  सेवा करना ही उनका मुख्य कार्य रहा है। सेवा की भावना उनके जीवन का हिस्सा बन चुकी है । 


    -पहली बार हुआ कोरोना से संक्रमित:

    अवनीश कुमार ने बताया कि पिछली बार कोरोना काल में  मैंने कोविड मरीजों की सेवा एवं देखरेख की परन्तु  सुरक्षित रहा । वहीं  इसबार मरीजों  की देखरेख करते हुए कब संक्रमित हुये पता ही नहीं चला ।जबकि मैं मास्क, सैनिटाइजर का भी प्रयोग करता था।  


    - कोविड की  दोनों डोज़ लेने से बची जान:

    उन्होंने बताया कि शुरुआत में ही जब सरकार द्वारा निर्देश आया कि सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड से बचने के लिए टीका दिया जायेगा, उसी दौरान सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए मैंने भारतीय कोविड टीका पर विश्वास करते हुए  दोनों डोज लिया था । परन्तु जब मुझे कोरोना के लक्षण शरीर में  दर्द, बुखार, पेट खराब होना व बहुत ज्यादा कमजोरी हुई तो बिना समय गवाएं तुरंत जाँच करवायी, जिसमें  पॉजिटिव बताया गया । तब उन्होंने हिम्मत से काम लिया औऱ  खुद को होम आइसोलेट किया । घर पर अपने को अलग कमरे में रखते थे। मास्क , सैनिटाइजर के प्रयोग के साथ संतुलित भोजन, हल्दी वाला दूध ,  आयुर्वेदिक काढ़े, व अस्पताल के कोरोना वार्ड के वरीय चिकित्सक डॉ राजीव कुमार, डॉ सुमित कुमार द्वारा बताए दवाओं का नियमित सेवन कर 10 दिनों में ही वह ठीक हो गए । मुझे आज भी ऐसा महसूस होता है कि कि कोविड 19 के टीके लेने के कारण ही मेरी स्थितियाँ ज्यादा गंभीर नहीं हुई। 


    - गर्म पानी व घर के काढ़े से हुआ फायदा:

    कोरोना से बचने के लिए रोज गर्म पानी से गरारा व स्नान भी करते थे। घर पर बनाए गए तुलसी, दालचीनी, व अन्य सामग्रियों के प्रयोग से बहुत आराम मिलता था। उस दौरान मन नहीं लगने पर गाना सुनते थे। लोगों से मोबाइल से बात करते थे । साथ ही उनके मन में ये हिम्मत और विश्वास भी था कि  जल्द ही इस कोरोना से ठीक हो जायेंगे । उन्होंने लोगों  से मिलना जुलना भी बंद कर दिया था । घर परिवार के लोगों ने लगातार हौसला बढ़ाया। उस दौरान अपनी सूझबूझ के कारण खुद भी सुरक्षित रहे और अपने परिवार समाज के लोगों को भी सुरक्षित रखा । 


    - सूझबूझ  के कारण कोई भी सदस्य कोरोना से पॉजिटिव नहीं हुआ:

     उन्होंने कहा कि मेरे घर परिवार का कोई सदस्य भी कोरोना से पॉजिटिव नहीं हुआ। अब वह पूर्णतः ठीक होकर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड  सहित अन्य कार्यों में  मरीजों  की मदद कर रहे हैं। 


    - लोगों को टीकाकरण के लिए किया जागरूक:

     स्वास्थ्य प्रबंधक अवनीश का कहना है कि-  कोविड 19 से बचने के लिए टीकाकरण आवश्यक है । उन्होंने गांव समाज के लोगों को भी कोरोना का टीकाकरण करवाने के लिए प्रेरित करने का काम किया ताकि वे सभी कोरोना महामारी से बच सकें । साथ ही कोरोना महामारी से बचने के लिए विभिन्न सावधानियां बरतने की सलाह वह सभी को देते हैं । उन्होंने बताया कि वर्तमान में  कोरोना से पीड़ित, रेफर मरीजों , व कोविड से ठीक हुए मरीजों  की भी उनके घर जाँच टीम द्वारा रिपोर्ट तैयार करने का काम करते हैं । सेवा के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों,केयर कर्मियों का भी भरपूर सहयोग मिला है ।


     अवनीश कुमार ने आम लोगों से अपील की है कि –

    टीकाकरण जरूर कराए।

    मास्क लगाएं । 

    सोशल  डिस्टेंसिंग का पालन करें।

    टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक करें ताकि लोग अधिक से अधिक संख्या में टीकाकरण कराएं तभी कोरोना महामारी से बच पाएंगे ।

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