किसी भी प्रकार का खबर व विज्ञापन के लिए सम्पर्क करे 6201984873

  • Breaking News

    विश्व पृथ्वी दिवस पर के वेबीनार द्वारा प्रोफेसर डॉ सिन्हा ने आम जनों से अपने घर के छत पर कम से कम प्रति वर्ष पांच पौधे लगाने की अपील की है ।

    विश्व पृथ्वी दिवस पर  के वेबीनार को संबोधित करते हुए प्रमुख पर्यावरणविद एवं केसीटीसी कॉलेज  वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार सिन्हा ने आम जनों से अपने घर के छत पर कम से कम  प्रति वर्ष पांच पौधे लगाने की अपील की है । प्रो० सिन्हा वनस्पति विज्ञान, केसीटीसी कालेज द्वारा  विश्व पृथ्वी दिवस पर अयोजित वेबिनार  की अध्यक्षता करते हुए सम्बोधित कर रहे थे । प्रो० सिन्हा ने कहा कि वर्तमान समय मानव ही नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन के लिए कठिन काल है जिससे पूरा मानव जाति अपने जीवन की रक्षा के लिए त्राहि-त्राहि कर रहा है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता से छेड़छाड़ ,धरती के गर्म होते मिजाज तथा वातावरण में कार्बन की मात्रा बढ़ने के मिले-जुले प्रभाव का परिणाम है कि पूरा विश्व कराह  रहा है ।पर्यावरण पर खतरा धरती के अस्तित्व के लिए चुनौती बन गया है। बात महज पानी के दूषित होने या वायु में जहर फैलने तक नहीं रह गई है बल्कि इस सब का कुप्रभाव जलवायु परिवर्तन के रूप में हमारे सामने है । उन्होंने ने कहा कि पिछले एक दशक के दौरान मानवीय जीवन पर संक्रामक रोगों की मार बहुत जल्दी-जल्दी पड़ रही है। ऐसी बीमारियों का 60% हिस्सा जंतु है जिसका 72% सीधा जानवरों से इंसान में आ रहा है। कोविड-19, एचआईवी , सार्स, जीका , हेंद्रा, ईबोला, बर्ड फ्लू आदि सभी संक्रमण  जंतुओं से ही होकर आए हैं पर दुखद यह है कि भौतिक सुखों की चकाचौंध में इंसान ने पर्यावरण के साथ जमकर छेड़छाड़ की जिसके परिणाम स्वरूप जंगल वन्य जीव एवं इंसान के बीच दूरियां कम होती जा रही है ।अगर शहर में रहने वालों की प्रतिरोधक क्षमता नहीं बढ़ाई गई, उन्हें पौष्टिक आहार नहीं मिला, साफ हवा नहीं मिली तो करोना से भी खतरनाक महामारियां स्थाई रूप से घर कर जाएगी । शहरों की आबोहवा खराब होने के मुख्य कारणों में बढ़ती आबादी, व्यापार- सत्ता और पूंजी का महानगरों में सिमट ना, निजी वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा, विकास के नाम पर लगातार धूल उगलने वाली गतिविधियां ,सड़कों पर जाम आदि से निपटने के तरीकों पर कभी किसी ने काम नहीं किया ।उन्होंने स्थिति को अति गंभीर बताते हुए जन जन को अपने स्वयं के स्तर से सहयोग करने की अपील की। जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रमा सिंह ने कहा कि प्रदूषण से आज सबसे अधिक गांव प्रभावित हो रहे हैं। उत्पादों की गुणवत्ता में गिरावट आई है, मवेशियों के प्रजनन एवं दुग्ध क्षमता पर भी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि 195 देशों में मनाए जाने वाले इस विश्व पृथ्वी दिवस को हर साल जलवायु परिवर्तन संकट के प्रति जागरूकता फैलाने के तौर पर मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी एक साल में जितने संसाधन पैदा करती है हम सात या आठ माह में ही उनका उपयोग कर डालते हैं ।उपभोग संबंधी आकलन करने वाली संस्था ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क( जी एफ एन )ने बताया कि पिछले साल 22 अगस्त को पृथ्वी से मनुष्य को सलाना दर से मिलने वाले पूरे संसाधन खत्म हो गए थे ।उन्होंने पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए धरती पर मौजूद संसाधनों की संयमित होकर इस्तेमाल करने की अपील की ।रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ० दिनेश पांडे ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न प्रजातियों के विलुप्तीकरण की गति  समान्य से दस हजार गुणा अधिक है ।  बीते 25 वर्षों में 8462 प्रजातियां विलुप्त हो गई है जिसमें पशु, पक्षी ,वृक्ष आदि सभी शामिल है । गिद्ध करीब-करीब गायब हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने परिवार में कुछ आदतें बदल कर भी अपनी धरती को सहेजने में मदद कर सकते हैं ।जीवनदायिनी ऑक्सीजन को छोड़कर जीवन के लिए उपयोगी  समस्त वस्तुएं मानव खरीदता है। 70 वर्ष की आयु का व्यक्ति उतनी ऑक्सीजन का उपयोग कर लेता है जो 65 वृक्ष अपने जीवन काल में देता है। उन्होंने कहा आज हमारी ही गलती के कारण ऑक्सीजन की  मारामारी चल रही है ।उन्होंने बिहार में पॉलीथिन पर रोक के बावजूद धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है जो पर्यावरण के लिए अति नुकसानदेह है। स्वच्छता के सिपाही एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश कुमार ने कहा कि सिर्फ सरकार के ऊपर जिम्मेवारी डालकर हम अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं। हमें अपने परिवार समाज को पर्यावरण की रक्षा के लिए जागृत करना होगा। स्वच्छता  को बढ़ावा देना  एवं वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता अभियान चलाना होगा जो व्यक्ति स्वयं कर सकता है ।इसमें किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं है । उन्होंने इस पृथ्वी दिवस के अवसर पर आम जनों से अपने जीवन की रक्षा के लिए समाज की रक्षा के लिए देश की रक्षा के लिए जंगल, नदी, जल स्रोतों की रक्षा का संकल्प लेने की अपील किया। वेबिनार में  डा० प्रदीप श्रीवास्तव, डा० अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा, प्रो० राजकिशोर सिंह सहित पच्चीस  शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं विद्यार्थियो ने भाग लिया।

    No comments

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728