नवनिर्मित अम्बेडकर द्वार पर स्थानीय मुखिया द्वारा बाबा साहेब की प्रतिमा का अनावरण फीता काटकर किया गया।
रक्सौल-स्थानीय अम्बेडकर ज्ञान मंच,रक्सौल के तत्वावधान में प्रखण्ड के लक्ष्मीपुर-लक्ष्मनवा पंचायत के लक्ष्मनवा (अम्बेडकर नगर) में स्थित अम्बेडकर द्वार के शुक्रवार को संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के प्रतिमा अनावरण सह उनकी 130 जयंती समारोह का आयोजन मुखिया पति अलखदेव यादव की अध्यक्षता में आहूत हुई।इस मौके पर नवनिर्मित अम्बेडकर द्वार पर बाबा साहेब की प्रतिमा का अनावरण फीता काटकर स्थानीय मुखिया शैला देवी ने किया।इस समारोह को संबोधित करते हुए एससी/एसटी कर्मचारी संघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सह अब-सब मोर्चा के संस्थापक ई.हरिकेश्वर राम ने कहा कि भारत जैसे विविधताओं भरे देश को एक सूत्र में पिरोनेवाले बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के विचार व आदर्श विश्व बन्धुता की कड़ी को मजबूती प्रदान करता है,उन्होंने देश को एक अमूल्य धरोहर संविधान देकर समता, स्वतंत्रता,न्याय-बन्धुता के साथ देश के सर्वांगीण विकास के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे।श्रीम ने कहा कि समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों के बीच जब-तक शिक्षा,स्वास्थ,स्वच्छता,आवास जैसी बुनियादी जरूरतों को नही मुहैया कराया जाएगा,तब-तक देश के विकास की परिकल्पना बेमानी होगी।पूर्व प्राचार्य समाजसेवी मदनचन्द्र प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि सरकारी शिक्षा के सिलेबस में तथागत बुद्ध,फूले दम्पति,शाहूजी,पेरियार,अम्बेडकर जैसे महापुरुषों की शिक्षा नही दी जाएगी।देश का उत्थान असंभव है।कांग्रेस नेता रामबाबू यादव ने कहा कि गरीब तबके को अगर अमीर बनना है तो शिक्षा हासिल करने होंगे।इसके लिए अगर उन्हें घर भी गिरवी रखने पड़े तो संकोच नही करें।यही बाबा साहेब के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।मंच के संरक्षक राजेन्द्र राम ने कहा कि बाबा साहेब की सोंच विश्वस्तरीय रही,जिनकी बदौलत देश की कई कुरीतियों व पाखंडों को चुटकी भर में खत्म कर दिया गया।वे एक सामाजिक चिंतक,दार्शनिक,वैज्ञानिक, विद्वान,शिक्षाविद थे,जिन्होंने दुनियां के सामने भारत को एक मार्गदर्शक देश के रूप में प्रतिस्थापित करने का सपना देखा।हमें उनके सपनों का भारत बनाने के लिए संकल्प लेने होंगे।संस्थापक मुनेश राम ने कहा कि हमें बाबा साहेब की जीवनी व उनके संघर्षो से शिक्षा लेते हुए समाज में फैली कुरीतियों यथा अशिक्षा,अज्ञानता,बाल विवाह,छुआछूत,भेदभाव,नशाखोरी,पाखण्ड,अंधविश्वास आदि को खत्म करना होगा,क्योंकि इसके वजह से ही बहुजन समाज तथा अन्य गरीब तबका मानसिक रूप से गुलाम है।उन्होंने कहा कि मानसिक गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए हमें शिक्षित व संगठित होकर अपने हक व अधिकार के लिए संघर्ष करने होंगे।एनडीएचआर के संयोजक राजू बैठा ने कहा कि बगैर सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति आंदोलन के सामाजिक भेदभाव को समाप्त नही किया जा सकता।इसके लिए समाज बुद्धिजीवियों व शिक्षाविद साधन-संपन्न लोगों को आगे आना होगा।अध्यक्ष मथुरा राम ने कहा कि सामाजिक जागरूकता के लिए हमें मंदिर-मठों की बजाय शिक्षा के मंदिर विद्यालयों की ओर जाने होंगे।कार्यक्रम प्रभारी सरपंच रामपूजन यादव ने कहा कि सामाजिक जागरूकता के लिए शिक्षा जरूरी है। नेपाल के दलित चिंतक प्रेमशंकर राम हजारी, जेएसएस मिथलेश कुमार मेहता,सरपंच रामपूजन यादव,शाहजहां अंसारी,अमीलाल रविदास,प्रभु रंजन राम,कपिलदेव राम,कमोद राम,सुभाष र,गोविंदा यादव,रामपुकार राम,दिनेश राम,रामौजन राम,डॉ.एच बी.रंजन,विजय पासवान, गौतम राम,इन्द्रासन साह,साहेब राम,रामबन्धु राम,राजू कुमार उपाध्याय,भिखारी राम,पुण्यदेव राम,रामकृष्ण कुशवाहा,उमाशंकर राम,चुनचुन यादव,राम औतार राम,अच्छेलाल पासवान,प्रमोद राम,बद्री राम आदि ने संबोधित किया।कार्यक्रम का संचालन चन्द्रकिशोर पाल ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन सरपंच रामपुकार यादव ने किया।
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