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    एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत बालिकाओं की हुई हीमोग्लोबिन की जांच

    - एनीमिया से बचाव को आयरन की ब्लू टेबलेट वितरण के साथ ही "माहवारी स्वच्छता" के बारे किया गया जागरूक

    - माहवारी एक स्वाभाविक प्रक्रिया है इससे घबराने या भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है- एसीएमओ 

    मोतिहारी। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार राज्य एवं जिलास्तर पर महिलाओं, किशोरीयों को माहवारी स्वच्छता के बारे मे जागरूक करते हुए सभी 27 प्रखंडों के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिले के कल्याणपुर प्रखंड मे इसके साथ ही "एनीमिया मुक्त भारत" कार्यक्रम चलाते हुए पीएचसी द्वारा चयनित एएनएम की टीम द्वारा उनके कार्य क्षेत्र वाले सभी सरकारी स्कूलों मे बालिकाओं की डिजिटल मशीन से हिमोग्लोबिन की जांच की जा रही है, ताकि उनके शरीर की रक्त प्रतिशत की जानकारी हों, जिससे मालूम हों की वे एनीमिया से कहीं पीड़ित तो नहीं। स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग एवं पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय  कल्याणपुर में अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत सभी बालिकाओं का हीमोग्लोबिन की जांच की गईं, आयरन की ब्लू टेबलेट जिसे प्रत्येक सप्ताह में सेवन किया जाएगा का वितरण किया गया, साथ ही साथ माहवारी स्वच्छता के बारे में जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई। जिले के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान ने बताया कि  माहवारी एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिससे घबराने या भयभीत होने ही आवश्यकता नहीं है किशोरियों में माहवारी की शुरुआत 8 वर्ष से 12 वर्ष के बीच हो जाता है बल्कि इस समय हमे अपने निजी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। माहवारी के समय संक्रमण से बचने हेतु सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग आवश्यक है। डॉ श्रवण पासवान ने बताया की एनीमिया के शिकार महिलाओ को चक्कर आना, थकान, या सिर घूमना, दिल की तेज़ धड़कन या धकधकी होना, त्वचा का पीलापन, नाज़ुक नाखून, सांस फूलना या सिरदर्द लक्षण हो सकते है वहीं इससे बचाव को आयरन से भरपूर आहार खाना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, खुबानी, अंडे, दालें, नारंगी, मौसमी फल का खूब सेवन,खजूर, आदि आयरन सम्पन्न आहार का सेवन आवश्यक है।वहीं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ हासिम साह ने बताया की कस्तूरबा बालिका विद्यालय मे उपस्थित छात्राओं के बीच क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमे माहवारी से संबंधित सवालों को पूछा गया और अंत में विजेता तीन छात्राओं को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति पत्र एवं प्रोत्साहन के लिए गिफ्ट का वितरण किया गया।

    छः माह बाद पुनः दुबारा होगी जाँच:

    पीरामल संस्था के ज़िला प्रतिनिधि मुकेश कुमार ने बताया कि आज जितनी बालिकाओं का हिमोग्लोबिन जाँच की हुई है उसे बेस लाइन डेटा माना जाएगा एवं छः माह बाद दुबारा जाँच किया जाएगाl इस बीच जो छः माह का समय है इसके दौरान उसके पोषण/खानपान संबंधित परामर्श दिया जाएगा और उनके आयरन की गोली को वरदान के निगरानी में साप्ताहिक सेवन सुनिश्चित कराया जायेगा।राणा फ़िरदौस ने जानकारी देते हुए बताया की एसकेजीके गर्ल्स स्कूल सिसवा पटना,सिसवा खरार मिडिल स्कूल,अलखबानी मिडिल स्कूल 

    मिडिल स्कूल कथरिया मे कल भी बालिकाओं के रक्त की जाँच कराई जाएगी। मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी हासिम साह, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक राजीव मिश्रा, रवि कुमार, बीसीएम अजय कुमार, एएनएम नाहिदा ख़ातून,लैब टेक्निशियन सरफराज अहमद, परामर्शदाता ब्रजेश कुमार, पिरामल फाउंडेशन के जिला प्रतिनिधि मुकेश कुमार एवं राना फ़िरदौस, शोभा कुमारी व अन्य उपस्थित थीं।

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