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    नियमित दवा का सेवन कर संतोष ने "एमडीआर टीबी" से पाया छूटकारा

    - टीबी चैंपियन बन जन समुदाय को कर रहें है जागरूक

    - टीबी पर राज्य स्तरीय कार्यशाला मे भाग लेकर हों चुके है सम्मानित

    - आत्म विश्वास के साथ पूरा किया 18 महीने तक दवाओं का कोर्स 

    मोतिहारी। पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया प्रखंड के हरबोलवा ग्राम, कपूर पकड़ी पंचायत, निवासी 24 वर्षीय संतोष अपने गांव में रहकर मेहनत के साथ सामान्य प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहें थे। इसी बीच उसे अचानक बुखार लगा। तब उसने स्थानीय दवाखाने से दवा ली परन्तु आराम नहीं हुआ। उसके बाद इलाज के लिए निजी चिकित्सक के पास पहुंचे। परन्तु स्वास्थ्य ठीक नहीं हुआ। उसके बाद बलगम वाली खांसी भी आने लगी। शरीर में काफी कमजोरी, वजन कमना और चेहरे का रंग भी बदलने लगा। स्थिति धीरे-धीरे खराब होती गयी। परिवार के सदस्यों ने उपचार के लिए मुजफ्फरपुर ले गए। पर वहां भी बीमारी का पता नहीं चला। यहां भी पहले जैसी दवा चिकित्सक ने दे दी। और बोला कोई ​बीमारी नहीं है। बावजूद मेरी तबीयत ठीक नहीं हो रही थी। तभी मन में आया कि क्यों न सरकारी अस्पताल में एक बार दिखा लूं। तब संतोष जिला टीबी अस्पताल में आकर यक्ष्मा केंद्र के अरविन्द कुमार से मिला। तो उन्होंने पुर्जी कटवा कर सीबी नेट जांच करायी। तब रिपोर्ट में अगले दिन "एमडीआर टीबी" का पता चला। उसके बाद हमें टीबी की पूरी दवा उपलब्ध करायी एवं समझाया की मन में आत्मविश्वास के साथ दवाओं का सेवन करो स्वस्थ हो जाओगे। मैंने उनकी बातों को मानकर नियमित 18 महीने तक दवा खायी। अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हो गया।

    सरकारी अस्पताल ने मेरी बचायी जान:

    चिरैया निवासी संतोष कुमार ने बताया कि जब हमें टीबी बीमारी के बारे में डॉक्टरों ने पुष्टि कर दी तो परिवार और पड़ोस के लोग मुझसे दूरी बनाने लग गए। परन्तु मैंने आत्मविश्वास के बल पर लगातार दवाओं का सेवन और साथ में पौष्टिक भोजन का सेवन किया। 3 महीने दवाओं के सेवन के बाद मुझे आराम मिलने लगा। मैं लगातार चिकित्सक के सम्पर्क में रहा। अब उनके शरीर का वजन 52 किलो है, आज संतोष पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपना दैनिक कार्य पूरा करने के साथ ही सामान्य प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते है साथ ही जीविकोपार्जन हेतु प्राइवेट स्कुल में पढ़ाते एवं ट्यूशन कराते है।

    टीबी चैंपियन बन निभा रहें है अपनी जिम्मेदारी:

    संतोष ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से ही हमें नया जीवन मिला है। मैं अब टीबी चैंपियन बनकर अभी तक 50 से ज्यादा लोगों की लक्षण देख टीबी अस्पताल में लाकर जांच कराया हूं। जिनमें 10 मरीजों का इलाज यहां से चल रहा है आज वे सभी स्वस्थ है। अरविन्द जी के द्वारा जानकारी देने पर मैंने पटना जाकर राज्य द्वारा टीबी पर आयोजित वर्कशॉप मे भाग लिया जहाँ मुझे सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया है। संतोष गाँव, समुदाय, स्कुल मे बच्चों को भी टीबी के प्रति जागरूक करते हुए कहते है की टीबी से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। सामुदायिक भागीदारी से ही वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार हो सकता है।

    जिला यक्षमा केंद्र के साथ ही सभी पीएचसी में जांच व उपचार उपलब्ध:

    जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ संजीव ने बताया कि जिले के सभी पीएचसी में टीबी की निःशुल्क जाँच और ईलाज की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि टीबी के लक्षण होने पर बलगम की जांच कराएं। एक्स-रे कराएं। चिकित्सक द्वारा पुष्टि करने पर सावधानी बरतें। घरों में साफ-सफाई रखें। बीमार व्यक्ति मुंह पर रुमाल लगाकर चले। बीच में दवा न छोड़ें। इलाज के दौरान खूब पौष्टिक खाना खाएं। एक्सरसाइज करें, योग करें।

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