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    परिवार नियोजन पखवाड़ा की सफलता के लिए बैठक आयोजित

    परिवार नियोजन पखवाड़ा की सफलता के लिए बैठक आयोजित


    -  परिवार नियोजन के संसाधनों के बारे में महिलाओं को करें जागरूक

    - स्वास्थ्य कर्मियों को दी गई विशेष ट्रेनिंग

    मोतिहारी, 2 जुलाई । शुक्रवार को चकिया अनुमंडलीय अस्पताल के सभागार में उपाधीक्षक डॉ चंदन कुमार की   अध्यक्षता में परिवार नियोजन पखवाड़ा के सफल संचालन के लिए बैठक आयोजित हुई। बैठक में केयर प्रबंधक कुन्दन कुमार रौशन द्वारा सभी उपस्थित डॉक्टर, नर्स एवं सहभागी स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीटी के माध्यम से पूर्व एवं वर्तमान में प्रखंड में परिवार नियोजन के स्थिति के बारे में जानकारी दी गयी। विदित है कि 11 जुलाई से 31 जुलाई तक परिवार नियोजन पखवाड़ा का आयोजन होना सुनिश्चित है। इसके लिए सभी को निदेश दिया गया कि पखवाड़ा के पहले ही लाभ लेने के लिए इच्छुक दंपत्तियों का सर्वे कर लाइन लिस्ट तैयार कर ली  जाए  एवम उनका लगातार फॉलोअप किया जाए, जिससे अधिक-से-अधिक संख्या में लाभ दिया जा सके।

    जनसंख्या नियंत्रण को लेकर  स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन दंपति संपर्क पखवाड़ा  शुरू किया गया है।   इसको लेकर चकिया अनुमंडलीय अस्पताल उपाधीक्षक डॉ चंदन कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। बैठक में डॉक्टर, नर्स, आशा फैसिलेटर, पर्यवेक्षिकाओं को केयर इंडिया की तरफ से विशेष प्रशिक्षण दिया गया। डॉ चंदन कुमार ने बताया कि बढ़ रही जनसंख्या का मुख्य कारण महिलाओं व परिवारों में परिवार नियोजन की जानकारी की कमी है। इस समस्या का एक मात्र निदान है जागरूकता।


    - परिवार नियोजन के बारे में जागरूकता है जरूरी :

    परिवार नियोजन का अर्थ है यह तय करना कि आपके कितने बच्चे हों और कब हों ? अगर आप बच्चे पैदा करने के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करना चाहते हैं तो अनेक उपलब्ध साधनों में से कोई एक साधन चुन सकते हैं। इन्हीं साधनों को परिवार नियोजन के साधन, बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने के साधन या गर्भ निरोधक साधन कहते हैं।

    गर्भधारण, प्रसव, तथा असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं के कारण महिलाए मृत्यु की शिकार हो जाती है। इनमें अनके मौतों को परिवार नियोजन के द्वारा रोका जा सकता है। उदहारण के तौर पर, परिवार नियोजन गर्भ धारण के खतरों की रोकथाम कर सकता है जो कि निम्नलिखित हैं -

    18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों की प्रसव के दौरान मृत्यु की संभावना रहती है। क्योंकि उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। उनको पैदा हुए बच्चों का भी पहले वर्ष में ही मृत्यु हो जाने की आशंका अधिक रहती है। गर्भधारण से अधिक आयु की महिलाओं को ज्यादा खतरा रहता है क्योंकि उन्हें प्राय: अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती है। अत्यधिक 4 या उससे अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिला को प्रसव के पश्चात खून बहने व अन्य कारणों से मृत्यु का अधिक जोखिम होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सेविका सहायिकाओं द्वारा  महिलाओं को परिवार नियोजन के संसाधनों यथा कॉपर टी, कंडोम, गर्भ निरोधक गोलियां, सूई आदि की जानकारियों के साथ महिलाओं को अनचाहे गर्भावस्था से रोक के उपाय की जानकारी देने की आवश्यकता है।

    बैठक में उपाधीक्षक डॉ चंदन कुमार, डॉ राजीव रंजन, प्रखंड स्वास्थ प्रबंधक शशिकांत श्रीवास्तव, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक धर्मेन्द्र कुमार, केअर प्रबंधक कुन्दन कुमार रौशन, जीविका प्रबंधक विकाश कुमार, मूल्यांकन सहायक राजकुमार प्रिंस, आशा फासिटीलेटर प्रतिभा वर्मा, नीरू देवी, तारामती देवी, सशि देवी, झुनि कुमारी, आशा देवी तथा प्रखंड के सभी विकासमित्र एवं मुखिया उपस्थित थे।

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