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    भस्का नदी पार दुर्गम जंगली क्षेत्र गुरार-गनौली में एएनएम रंजू कर रहीं हैं बच्चों का टीकाकरण

    - एचएससी हरनाटांड से 6 किमी तक है जंगली रास्ता, 22 किमी बाद है नेपाल की सीमा

    - बच्चों, गर्भवती महिलाओं व वयस्कों को कई बीमारियों से बचाता है नियमित टीकाकरण 

    - टीकाकरण के 90 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास 

    - जंगली जानवरों व नदी में पानी बढ़ने का लगातार बना रहता है खतरा

    बेतिया। जंगल और नदियों के बीच जाकर स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बच्चों का नियमित टीकाकरण किया जा रहा है । जिले के अति दुर्गम जल-जमाव एवं जंगली क्षेत्र गुरार एचएससी गनौली में छूटे हुए बच्चों के नियमित टीकाकरण के लिए एएनएम रंजू कुमारी के साथ बीएचएम कुमार विशाल, बीसीएम अनिल कुमार कैरियर लेकर सुबह पीएचसी हरनाटांड़ बगहा 02 से निकलते है। इसके बाद 6 किलोमीटर तक जंगली रास्तों का सफर तय करना होता है। रंजू ने बताया कि इस क्षेत्र से 22 किमी बाद पड़ोसी देश नेपाल की सीमा लगती है। उन्होंने बताया कि गोडार में 157, पिपरा में 21, गनौली में 20, वनहवाटोला में 162, मलकौली में 21 तथा हरैयाकोर में टीकाकरण किया गया है। इन जगहों पर बच्चों के नियमित टीकाकरण के बाद जल्द घर लौटने की चिंता रहती है क्योंकि उन जगहों पर जंगली जानवरों व अभी नदी में पानी बढ़ने का लगातार खतरा बना रहता है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार सिँह नीरज ने बताया कि बाढ़ग्रस्त दियारा क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य विभाग की टीम सजग और सतर्कता के साथ अपना दायित्व निभा रही है। तभी तो बगहा 02 के दुर्गम इलाकों में बच्चों का नियमित टीकाकरण का कार्य तेजी से होता दिखाई देता है।

    नियमित टीकाकरण बच्चों, गर्भवती महिलाओं और वयस्कों को कई बीमारियों से बचाता है:

    सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने बताया कि जिले के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहाँ जंगल के भीतर और पहाड़ियों पर लोग बसे हैं। बरसात के समय में इनके रास्ते बंद रहते हैं। वहाँ पहुंचना मुश्किल होता है। ऐसे में हमारे स्वास्थ्यकर्मी और एएनएम वहां जाकर बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचाव को टीकाकरण का कार्य कर रहे हैं। साथ ही गर्भवती माताओं का भी टीकाकरण कर रहीं हैं। नियमित टीकाकरण के 90 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नियमित टीकाकरण से बच्चों और वयस्कों को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है, जैसे-डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी, पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो), खसरा, कण्ठमाला, रूबेला, हीमोफिलस इन्फ़्लुएंज़ा टाइप बी (एचआईबी), हेपेटाइटिस बी आदि से सुरक्षित रखता है। टीके पूरी तरह से असरदार होते हैं। सभी टीकों का पूरा कोर्स सही उम्र पर दिया जाना चाहिए। अगर कोई टीका छूट जाए, तो याद आते ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता या डॉक्टर से संपर्क करके टीका लगवा लेना चाहिए। टीके उप-स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, या राजकीय चिकित्सालयों पर मुफ़्त में मिलते हैं। गर्भवती महिलाओं को टेटनस का टीका लगवाकर, उन्हें और उनके नवजात शिशुओं को टेटनस से बचाया जा सकता है।

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