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    “फ़ाइलेरिया मुक्त पंचायत” के लिए बिहार पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं: केदार प्रसाद गुप्ता, पंचायत राज मंत्री, बिहार सरकार

    -आगामी 10 अगस्त से राज्य के 13 जिलों के लगभग साढ़े तीन करोड़ लोगों को खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवाएं

    -फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में त्रिस्तरीय पंचायत की रणनीति अपनाई जायेगी 

    पटना। बिहार सरकार द्वारा राज्य को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए हर स्तर से प्रयास किये जा रहें हैं और इसी क्रम में आज पटना के एक होटल में राज्य के पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं विभाग एवं पिरामल फाउंडेशन द्वारा आयोजित “फाइलेरिया मुक्त पंचायत” कार्यक्रम के आयोजन के अवसर पर कहा बिहार की प्रत्येक पंचायत को “फ़ाइलेरिया मुक्त पंचायत”  बनाने के लिए हम सब प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए त्रिस्तरीय पंचायत के माध्यम से यानि जिला, प्रखंड और ग्राम स्तर तक अंतिम छोर की आबादी तक पहुँच कर उन्हें फाइलेरिया के बारे में जागरूक किया जायेगा। इस अभियान में हमारे साथ पंचायत के मुखिया, जिला समिति के सदस्य, वार्ड सदस्य और जिला परिषद् के लोग, मिलकर कार्य करेंगे।  

    कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. छवि पन्त जोशी, संयुक्त निदेशक, एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार ने बताया कि फाइलेरिया नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में एक प्रमुख रोग है। विश्व के 72 देशों में 85.9 करोड़ आबादी फाइलेरिया के खतरे में हैं। वहीं, राज्य के सभी 38 जिले इससे प्रभावित है।  इससे विश्व भर में लगभग 200 करोड़ रुपये की प्रतिवर्ष आर्थिक क्षति होती है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम की सफलता में अंतर-विभागीय समनवय की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसीलिए पंचायती राज जैसे विभाग के सहयोग से यह कार्यक्रम बहुत सफल होगा क्योंकि, पंचायती राज की पहुँच राज्य स्तर से गाँव स्तर तक है। बिहार राज्य में फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में इस सामूहिक प्रयास से राज्य शीघ्र ही फाइलेरिया मुक्त होगा।  

    अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया डॉ परमेश्वर प्रसाद ने बताया कि आगामी 10 अगस्त से राज्य के 13 जिलों (बक्सर,भोजपुर, दरभंगा, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, मधुबनी, नालंदा, नवादा, पटना, पूर्णिया,रोहतास और समस्तीपुर) के चिन्हित प्रखंडों में सर्वजन दवा सेवन अभियान (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) चलेगा, जिसमें करीब तीन करोड़ 50 लाख लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि 13 जिलों में से पांच जिलों में डीईसी, अल्वेंडाजोल एवं आइवरमेक्टिन तथा शेष जिलों में डीईसी और अल्वेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। किसी भी परिस्थिती में दवा का वितरण न हो, स्वास्थ्य कर्मी अपने सामने लाभार्थियों को दवाएं खिलाएं। उन्होंने कहा कि फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में पंचायती राज विभाग के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जायेगा और राज्य स्तर से ग्राम स्तर तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम की गतिविधियों की प्रतिदिन समीक्षा की जायेगी। साथ ही क्षेत्र में पायी गयी चुनौतियों और समस्याओं का तुरंत समाधान किया जायेगा।  

    पिरामल फाउंडेशन के विकास सिन्हा ने एमडीए में पंचायती राज विभाग की भूमिका को बताते हुए उन्होंने कहा कि एमडीए में अधिकतम लोगों को दवा सेवन सुनिश्चित कराने के लिए पंचायती राज पदाधिकारियों एवं प्रतिनिधियों  की सबसे अहम भूमिका है। इसी महत्व को समझते हुए गत 12 जुलाई को राज्य स्तर पर जिला पंचायती राज पदाधिकारियों का उन्मुखीकरण किया गया था और उनसे अनुरोध किया गया था कि वे अपने प्रखंड के पदाधिकारियों का और उसके बाद ग्राम स्तर के पदाधिकारियों का भी इसी प्रकार उन्मुखीकरण करवाएं ताकि इस श्रंखला के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी तक फाइलेरिया रोधी दवाएं पहुँच सकें।  

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है और फाइलेरिया के उपचार की तुलना में इसकी रोकथाम पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। संक्रमित मच्छर के काटने से किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में, प्रत्येक व्यक्ति को इस बीमारी का खतरा है और इसीलिए, सभी लाभार्थियों को मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के दौरान, स्वास्थ्य कर्मियों के सामने फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करना बहुत आवश्यक है।

    इस अवसर पर एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार, राज्य स्तरीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पदाधिकारियों के साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, लेप्रा, पिरामल फाउंडेशन, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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