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    एमडीए की सफ़लता के लिए राज्य स्तरीय टास्क फ़ोर्स बैठक का हुआ आयोजन

    •एमडीए के 13 जिलों के चुनौतीपूर्ण प्रखंडों में बेहतर कवरेज बढ़ाने पर जोर 

    •बाढ़ प्रभावित एमडीए जिलों में विशेष रणीनीति के तहत चलेगा अभियान 

    •10 अगस्त से 13 जिलों के 3.5 करोड़ आबादी को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का लक्ष्य 

    पटना: राज्य के 13 जिलों में 10 अगस्त से शुरू होने वाले एमडीए यानी सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के लिए विशेष रणीनीति की जरूरत है. इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के मॉनिटरिंग डेटा एवं माइक्रोफाइलेरिया दर को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक प्रखंडों की पहचान करना जरुरी है. साथ ही इन चिन्हित प्रखंडों की एमडीए को लेकर सूक्ष्म-कार्ययोजना को प्रभावी बनाकर दवा सेवन के कवरेज को आसानी से बढ़ाया जा सकता है. उक्त बातें राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने शुक्रवार को राज्य स्वास्थ्य समिति में एमडीए पर आयोजित राज्य स्तरीय टास्क फ़ोर्स बैठक के दौरान कही. 

    कार्यपालक निदेशक ने वर्तमान समय में कुछ एमडीए जिलों में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए कहा कि जिन जिलों में बाढ़ का खतरा है, वहाँ विशेष रणीनीति बनाकर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाओं के सेवन के बाद होने वाले कुछ प्रतिकूल प्रभावों के बारे में समुदाय को सही जानकारी देना जरुरी है. इससे फाइलेरिया रोधी दवाओं की गुणवत्ता एवं इससे होने वाले संभावित प्रभावों पर लोगों जागरूकता बढ़ेगी. साथ ही जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर दवा सेवन के संभावित प्रभावों के निदान के लिए अधिकारीयों को चिन्हित करना भी जरुरी है. उन्होंने एमडीए राउंड में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त शिक्षा विभाग, आईसीडीएस विभाग, पंचायती राज विभाग, नगर निगम, पीडीएस, जीविका सहित अन्य विभागों एवं सहयोगी संस्थाओं के सक्रिय सहयोग की अपील की. 

    रोग की सही जानकारी एमडीए की सफलता का होगा सूत्रधार: 

    झारखंड राज्य के पूर्व मुख्य सचिव एवं वर्तमान में एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार में सलाहकार सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि एमडीए राउंड का आयोजन पिछली दो दशक से हो रहा है. लेकिन अभी भी फाइलेरिया उन्मूलन में शत-प्रतिशत सफलता नहीं मिली है. इसके लिए जरुरी है कि लोगों को यह बताया जाए कि फाइलेरिया एक बेहद गंभीर एवं लाईलाज बीमारी है. एक बार होने के बाद ठीक नहीं होता है. इसके लिए सामुदायिक जन-जागरूकता जरुरी है, जिसमें बिहार ने जीविका को इस मुहिम में शामिल कर एक अच्छा प्रयास भी किया है. 

    13 जिलों के 3.5 करोड़ आबादी को दवा खिलाने का लक्ष्य:

    डॉ. परमेश्वर प्रसाद, अपर सचिव सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया ने कहा कि 10 अगस्त से राज्य के 13 जिलों में एमडीए राउंड की शुरुआत की जा रही है. जिसमें 8 जिले यानी भोजपुर, बक्सर, किशनगंज, मधेपुरा, मधुबनी, नवादा, नालंदा एवं पटना में दो तरह की दवाएं( डीईसी एवं एल्बेंडाजोल) एवं 5 जिले यानी दरभंगा, लखीसराय, पूर्णिया, रोहतास एवं समस्तीपुर में तीन तरह की दवाएं(डीईसी, एल्बेंडाजोल एवं आईवरमेक्टिन) खिलाई जाएंगी. इन 13 जिलों में 3.5 करोड़ आबादी को दवा खिलाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि पिछले एमडीए चक्र में कुछ गुड प्रैक्टिस किए गए थे. जिसमें डीसीएम को शामिल करने के साथ ओपीडी स्लिप पर एमडीए की जानकारी देना, स्वीकृत एप से डेली एमडीए मॉनिटरिंग सहित अन्य प्रयास शामिल थे और ये कारगर भी साबित हुए. साथ ही आईएमए एवं आईएपी का भी सहयोग लिया गया जो बहुत ही प्रभावी रहा. उसी तरह इस राउंड में भी ऐसे प्रयासों को जारी रखा जाएगा.  इस दौरान उन्होंने सहयोगी विभाग एवं सहयोगी संस्थाओं में शामिल डब्लूएचओ, पिरामल, पीसीआई, सीफ़ार, जीएचएस एवं लेप्रा की भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

    इस दौरान वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के एसपीओ डॉ. अशोक कुमार, एचडब्लूसी के एसपीओ डॉ. एके शाही,  आशा सेल के एसपीओ डॉ. वाईएन पाठक, रीजनल हेल्थ ऑफिस भारत सरकार, से डॉ. कैलाश कुमार एवं डॉ. रविशंकर , पीएमसीएच से डॉ. अजय कृष्णा,पटना के सिविल सर्जन डॉ. मिथलेश कुमार, काराविभाग, जीविका, शिक्षा, एनसीसी, एमडीएम एवं पंचायती राज विभाग के राज्य स्तरीय अधिकारी के साथ डब्लूएचओ के राज्य एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय, राज्य फाइलेरिया सलाहकार डॉ. अनुज सिंह रावत सहित पीसीआई, सीफ़ार, पिरामल, जीएचएस एवं लेप्रा के अधिकारी मौजूद थे.

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