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    ​माहवारी स्वच्छता दिवस पर स्कूली छात्राओं को नैपकिन के प्रयोग की सलाह

    -स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग व पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित हुए कार्यक्रम

    -प्रत्येक पीएचसी में है नैपकिन वेंडिंग मशीन

    वैशाली। अंतरराष्ट्रीय माहवारी दिवस के मौके पर जिले के स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों पर जागरूकता संबंधी कार्यक्रम हुए। माहवारी स्वच्छता पर हुए इन कार्यक्रमों की अगुवाई जिला स्वास्थ्य समिति, शिक्षा विभाग तथा पीरामल फाउंडेशन ने की। रेफरल अस्पताल लालगंज के सहयोग से भगवान शंकर उच्च विद्यालय में नौवीं और दसवीं की छात्राओं के बीच माहवारी से संबंधित जानकारी देते हुए बताया गया की ​महिलाओं और किशोरियों में यह एक स्वभाविक प्रक्रिया है, जिससे घबराने या भयभीत होने ही आवश्यकता नहीं है। इस समय हमें अपने निजी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। माहवारी के समय संक्रमण से बचने हेतु सैनिटरी नैपकिन के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु बताया गया। मालूम हो कि अब ये नैपकिन सस्ते दर पर जीविका समूह एवं अन्य संस्थानों के द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। सभी छात्राओं को इस दौरान आने वाली सामान्य परेशानी के निदान के बारे में भी बताया गया। इस अवसर पर उपस्थित छात्राओं के बीच क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे माहवारी से संबंधित सवालों को पूछा गया और अंत में तीन विजेता छात्राओं को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति पत्र और इनाम के रूप में पठन सामग्री का वितरण किया गया। वहीं वर्ग में उपस्थित सभी छात्राओं को एक पैकेट नैपकिन का वितरण भी किया गया। इसके साथ उपस्थित सभी छात्राओं को एक एक पैकेट सैनिटरी नैपकिन दिया गया। डीसीएम निभा रानी सिन्हा ने बताया कि जिले के प्रत्येक पीएचसी में नैपकिन वेंडिंग मशीन उपलब्ध है। 

    गोरौल में छात्राओं को माहवारी स्वच्छता के साथ प्रबंधन का भी मिला ज्ञान:

    माहवारी स्वच्छता के विशेष दिन के अवसर पर गोरौल के प्रोजेक्ट कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में छात्राओं को माहवारी स्वच्छता, नैपकिन के प्रयोग ​के साथ नैपकिन के प्रबंधन के बारे में भी जानकारी दी गयी। छात्राओं को डॉ खुशबू ने बताया कि इसके खुले में फेंकने की स्थिति में गंभीर संक्रामक रोगों के पनपने की संभावना के साथ पर्यावरणीय क्षति भी होती है। इन्हें जलाने से हवा में हानिकारक बैक्टीरिया फैल सकते हैं जिससे सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए इसका प्रबंधन बहुत ही सही तरीके से करना चाहिए। यह तो बहुत साफ है कि साफ-सुथरी माहवारी का मतलब सिर्फ लड़की का स्वास्थ्य या उसकी साफ-सफाई नहीं है। यह जीवन में उसके सीखने, कमाने, भाग लेने और प्रगति के अवसरों का मामला है। साथ ही एक जिम्मेदार नागरिक के नाते परिवार व देश को कुछ देने का मामला है, सिर्फ ’बच्चे पैदा करने’ का नहीं। इस कार्यक्रम में डीसीएम निभा रानी सिन्हा, बीएचएम रेणु कुमारी, डॉ खुशबू, पिरामल फाउंडेशन के मनोज कुमार, दिव्या, पीयूष, कोमल और गोपिका के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के प्रबंधक राजीव कुमार, सीएचओ सुमन, सुनील और अंजुमन ने उपस्थित होकर इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दी।

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