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    जेई का मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

    - बंजरिया प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्र में कराया जा रहा है बच्चों का टीकाकरण 

    - जिले के बंजरिया प्रखंड में आया जेई का मामला, बच्चे का पटना में चल रहा है इलाज

    - जेई पीड़ित बच्चे के घर के 500 मीटर दूरी तक कराई जाएगी फागिंग

    - एईएस/जेई से बचाने के लिए बच्चे पर ध्यान दें माता-पिता

    मोतिहारी। जिले के बंजरिया प्रखंड के ग्राम सिसवा में जेई का मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड पर आ गया है। जिले के सदर अस्पताल समेत सभी अस्पतालों में बनाए गए एईएस/जेई के वार्ड चिकित्सक, दवाओं व इमरजेंसी सुविधाओं के साथ मुस्तैद है। जिले के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के अनुसार पूर्व में ही सभी स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारीयों को एईएस/जेई के मामलों को लेकर एलर्ट रहने का निर्देश दिया जा चूका है। उन्होंने बताया कि जिले के सदर अस्पताल समेत पीएचसी, सीएचसी में एईएस व जेई के स्पेशल वार्ड बनाए गए है। जहां चमकी बुखार के मरीजों के लिए बेड के साथ इलाज और जांच की समुचित व्यवस्था की गयी है। भीबीडीएस सुमन कुमार ने बताया की बंजरिया प्रखंड के ग्राम सिसवा, पंचायत पूर्वी सिसवा के वार्ड नंबर 13 शेख टोला मस्जिद के पास जेई का मरीज मो. शमद पिता मो.शाहिल के मिलने के बाद आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर बच्चों की निगरानी की जा रही है, बुखार या अन्य बीमारियों से ग्रसित बच्चों की देखरेख पीएचसी द्वारा की द्वारा की जा रही है, आंगनबाडी केंद्र पर जेई से बचाव को बच्चों को टीका लगाया जा रहा है। वहीं वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिस के निर्देशानुसार पीड़ित बच्चे के घर फॉलोअप किया जा रहा है, पीने का पानी, शौचालय, रहन सहन, आदि की देख रेख की जा रही है। बच्चे के घर से 500 मीटर दुरी तक फॉगिंग कराया जाएगा। उन्होंने बताया की गर्मियों के मौसम में एईएस/जेई का खतरा बना रहता है ऐसे में बच्चों को इसके खतरे से बचाने को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से चौपाल लगाया जा रहा है, स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीकाकरण कराया जा रहा है। ताकि बच्चे एईएस जेई के प्रभाव से सुरक्षित रहें। 

    इलाज के बाद बच्चा है स्वस्थ:

    भीबीडीएस सुमन कुमार ने बताया की जेई से पीड़ित 01 वर्ष के बच्चे मो. शमद के पिता मो.शाहिल ने बताया की बच्चे का जन्म के बाद से ही शरीर काफी कमजोर था, वह हमेशा बीमार रहता था, इसी क्रम में उसे 03 मई को बुखार, डायरिया हुआ, तब गांव के ही दवा दुकान से दवा लेकर इलाज कराया परन्तु ज्यादा दिक्कत होने पर मोतिहारी के प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया गया। पुनः स्थिति नहीं सुधरने पर पटना पीएमसीएच भर्ती कराया गया जहां जेई होने की जानकारी मिलि, बच्चा इलाज के बाद अब स्वस्थ है।

    एईएस/जेई से बचाने के लिए बच्चे पर ध्यान दें माता-पिता:

    डीभीबीडीसीओ डॉ शरत चंद्र शर्मा ने बताया की जापानी इंसेफ्लाइटिस एक गंभीर बीमारी है। जो संक्रमित मच्छरों द्वारा फैले वायरस के कारण होता है। जेई वायरस मच्छर से फैलने वाले वायरस के समूह में से एक है जो मस्तिष्क की सूजन का कारण होता है, उन्होंने बच्चों को एईएस/जेई से बचाने हेतु अधपके फल नहीं खाने, रात को बिना खाए न सुलाने, सुबह उठने पर बच्चों की स्वास्थ्य देखने, संतुलित आहार, रात में कुछ मीठा वस्तु खिलाने की बात बताने के साथ ही बच्चे पर माता-पिता को ध्यान देने की जरूरत बतायी।

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