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    चमकी व वेक्टर जनित रोग पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

    चमकी व वेक्टर जनित रोग पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 

    - वेक्टर जनित रोग पर्यवेक्षक, कालाजार प्रखंड समन्वयक व कालाजार शिविर प्रभारियों को दिया गया प्रशिक्षण

    - भीडीसीओ व केयर डीपीओ द्वारा कराया गया प्रशिक्षण

    - गर्मियों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की रहती है संभावना 

    मोतिहारी, 29 मार्च।

    जिला सदर अस्पताल परिसर में वेक्टर जनित रोग पर्यवेक्षक, कालाजार प्रखंड समन्वयक व कालाजार शिविर प्रभारियों के लिए भीडिसीओ व केयर डीपीओ द्वारा एईएस का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में बताया गया कि गर्मियों में बच्चों को ज़्यादा सावधानी बरतनी आवश्यक है क्योंकि इसी समय में एईएस/ चमकी रोग के बढ़ने की ज्यादा संभावना बनी रहती है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है। इसी के मद्देनजर चमकी से ग्रसित बच्चों के लक्षणों व उससे बचाव को आज स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। ताकि इसके मामलों में कमी आ सके। वहीं चमकी से प्रभावित बच्चों का सही समय पर इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आएं, बिल्कुल भी देरी न करें। अस्पताल से दूरी होने पर एम्बुलेंस किराए पर लेकर तुरंत पहुंचे। यात्रा का भाड़ा अस्पताल द्वारा दिया जाएगा।

    प्रशिक्षण कार्यक्रम में केयर डीटीएल स्मिता सिंह, डीपीओ मुकेश कुमार, भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार, अभिषेक कुमार ने चमकी के लक्षणों व उससे बचाव के तरीके बताए।

    जगह जगह हो रहा है चौपाल का आयोजन:

    सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि जिले भर में आरबीएसके चिकित्सकों, जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से चमकी बुखार के लक्षणों को समझाते हुए जगह जगह चौपाल का आयोजन किया जा रहा है।

    चमकी से बचाव के तरीके-

    जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शर्मा ने बताया कि बच्चे रात में खाली पेट न सोएं। बेवजह धूप में न निकलें। कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओआरएस के पाउडर व पारासिटामोल की गोली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है। ताकि जिले में चमकी के प्रभाव को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि चमकी बुखार से बचाव को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। बच्चों के माता-पिता अपने शिशु के स्वास्थ्य के प्रति रहे अलर्ट। समय-समय पर देखभाल करते रहें। बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाएं। उनके हाथों व मुँह की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।  

    चमकी बुखार/ एईएस के लक्षण : 

    - लगातार तेज बुखार रहना। 

    - बदन में लगातार ऐंठन होना। 

    - दांत पर दांत दबाए रहना। 

    - सुस्ती चढ़ना। 

    - कमजोरी की वजह से बेहोशी आना। 

    - चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।

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