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    कालाजार नियंत्रणार्थ जिले के 800 आशाओं को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

    -कालाजार से पीड़ित रोगी को मिलती है 7100 की राशि 

    सीतामढ़ी। जिला भीबीडी नियंत्रण कार्यालय, सीतामढ़ी के तत्वावधान मे 4 दिनों तक चलने वाले एक दिवसीय आशा उन्मखीकरण कार्यशाला जीएनएम ट्रेनिंग स्कूल, मधुबन, डुमरा के प्रांगण मे आज से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डा रवीन्द्र कुमार यादव तथा पीरामल फाउंडेशन के क्षेत्रीय टीम लीड मानस कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कालाजार नियंत्रणार्थ सर्विलांस को सशक्त करने के उद्देश्य से जिला के सभी प्रखंडों के कालाजार प्रभावित क्षेत्रों के कुल 800 आशा कार्यकर्ताओं को 30 -30 के बैच मे प्रशिक्षण दिया जाना है। प्रथम दिन 7 बैच के कुल 210 आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी, भीडीसीओ तथा भीबीडीएस द्वारा दिया गया। प्रशिक्षण में  कालाजार के लक्षण, संभावित पीकेडीएल की पहचान, जाँच, उपचार, बचाव हेतु घर-घर कालाजार नियंत्रणार्थ कीटनाशक दवा का छिड़काव आदि के बारे मे डा यादव द्वारा विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि चुकी हमने कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया और हम शून्य कालाजार की ओर बढ़ रहे हैं, ऐसे मे हमारे ऊपर और भी जवाबदेही है कि कोई भी व्यक्ति, जिसे दस दिन से अधिक समय से बुखार है, उसपर नजर रखी जाय और अगर सामान्य उपचार ( एन्टीबायोटिक या मलेरियारोधी दवाओं) से बुखार ठीक नहीं हो रहा तो शीघ्र उनकी कालाजार की जाँच कराई जाए और धनात्मक रिपोर्ट आने पर शीघ्र "एकल खुराक एम्बीजोम " से ईलाज कराई जानी चाहिए। जिन मरीजों का 2 वर्ष पहले या अगर पहले भी कालाजार का ईलाज हुआ है वैसे मरीजों मे पीकेडीएल के पहचान के बारे मे भी बताया गया। कालाजार के अलावे डेंगू/चिकनगुनिया, मलेरिया, फाईलेरिया तथा मस्तिष्क ज्वर के बारे भी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण 13 सितम्बर तक चलेगा। कार्यशाला मे प्रिंस कुमार, पवन कुमार, मधुरेन्द्र सिंह, नवीन कुमार, राकेश झा, दीपक कुमार, अरूण राफेल, रजनीश कुमार, रोहित कुमार, विक्रम कुमार, राजीव कुमार, राजू रंजन, धर्मेंद्र सिंह आदि ने सहयोग दिया।

    सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :

    वेक्टर नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रविंद्र कुमार यादव ने बताया कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये  की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।

    कालाजार के लक्षण :

    - लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना। 

    - वजन में लगातार कमी होना।

    - दुर्बलता।

    - मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।

    - व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।

    - प्लीहा में नुकसान होता है।


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