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    जिले में डेंगू से निपटने के लिए नगर निगम से करें प्रतिदिन कचरे के निस्तारण की अपील

    - सामूहिक समारोह के बाद कचरे का निस्तारण आवश्यक

    - सदर अस्पताल में 10 और प्रखंड स्तर पर दो बेड डेंगू के लिए रिजर्व

    सीतामढ़ी। डेंगू से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी सजग और सतर्क दिख रहा है। इस बार  स्वास्थ्य विभाग ने जिले के रेस्टोरेंट और फूड वेंडर से भी अपील की है कि वे अपने कचरे का निस्तारण सही या बंद जगह पर करें। इससे बरसात का पानी उन में जमा नहीं हो पाएगा। डेंगू के मच्छर पनपने में एक बड़ा रोल डिस्पोजल ग्लास और फ़ूड कांटेनरों का भी है। अगर उनमें एक हफ्ता भी पानी जम गया तो डेंगू के मच्छर उसमें पनप सकते हैं। यह बातें जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ रविंद्र कुमार यादव ने कही।

    उन्होंने कहा कि जिले में डेंगू से बचाव के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में अंतर विभागीय समन्वय समिति की बैठक भी हुई है। जिसमें सभी विभागों ने अपने स्तर से डेंगू के प्रभावी रोकथाम एवं जागरूकता में साथ देने का वादा किया है। वही नगर निगम से प्रतिदिन कचरे के उठाव के लिए भी कहा गया है। डॉक्टर यादव ने बताया कि डेंगू के उपचार के लिए विभाग की तरफ से सदर अस्पताल में 10 तथा प्रखंड स्तरीय अस्पताल में दो बेड मच्छरदानी सहित डेंगू के लिए रिजर्व किए गए हैं। इसके अलावा प्रखंड एवं जिला स्तर पर जांच किट भी मौजूद है। 

    डेंगू के मच्छर पनपने के लिए एक सप्ताह का समय और 50 एमएल पानी काफी:

    डॉ रविंद्र यादव ने बताया कि डेंगू के मच्छर हमेशा साफ पानी में पनपते हैं। किसी भी साफ पानी में एक सप्ताह में मच्छर बन जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम इन्हें पनपने से रोके। डॉक्टर यादव ने लोगों से अपील की है कि किसी समारोह या अन्य आयोजन पर इस्तेमाल किए गए चीजों का सही निस्तारण करें। ताकि उनमें बरसात का पानी जमा नहीं हो पाए। डॉ यादव ने बताया कि पिछले वर्ष डेंगू के कुल 111 केस प्रतिवेदित हुए थे। इस वर्ष अभी तक जिले में डेंगू का कोई मामला नहीं आया है।

    डेंगू एवम चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडिस मच्छड़ के काटने से होती है। यह मच्छड़ दिन में कटता है और स्थिर साफ पानी में पनपता है। यदि किसी व्यक्ति को पूर्व में डेंगू हो चुका है तो उसे अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है, वैसे व्यक्ति दुबारा डेंगू बुखार होने की शंका होने पर तुरंत ही सरकारी अस्पताल/चिकित्सक से संपर्क करें। तेज बुखार के उपचार हेतु एस्प्रिन या ब्रूफेन की गोलियां कदापि इस्तेमाल नहीं करें। इसके लिए पैरासिटामोल सुरक्षित दवा है।


    डेंगू के लक्षण:


    -तेज बुखार, बदन, सर एवम जोड़ो में दर्द तथा आंखों के पीछे दर्द।

    -त्वचा पर लाल धब्बे/चकते का निशान।

    -नाक, मसुरों से अथवा उल्टी के साथ रक्त स्राव होना।

    -काला पैखाना होना।


    डेंगू अथवा चिकनगुनिया से बचाव हेतु निम्न उपाय करें:


    -दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

    -मच्छड़ भगाने वाली दवा/क्रीम का प्रयोग दिन में भी करें।

    -पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने, घर के सभी कमरे को साफ-सुथरा एवम हवादार बनाए रखें।

    -टूटे-फूटे बर्तन, ए सी, फ्रीज, कूलर का पानी निकाल दें, पानी टंकी एवम घर के अंदर और अगल बगल में अन्य जगहों पर पानी न जमने दें।

    -अपने आस पास के जगहों को साफ सुथरा रखें तथा जमा -पानी एवम गंदगी पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

    -गमला, फूलदान इत्यादि का पानी रोज बदलें।

    -मॉल/दुकानदार खाली पड़े जगहों में रखे डब्बों/कार्टन में पानी जमा नही होने दें।

    -जमे हुए पानी पे मिट्टी का तेल डालें।

    -बीमारी का लक्षण दिखने पर अविलंब चिकित्सक से संपर्क करें।

    -याद रखें हर बुखार डेंगू नही होता है।

    -समय पर उपचार कराने से मरीज पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।

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