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    फाइलेरिया उन्मूलन की राष्ट्रीय समीक्षा बैठक में बिहार के प्रयासों की सराहना

    पटना- फाइलेरिया उन्मूलन हेतु बिहार राज्य द्वारा किए गए  प्रयासों की राष्ट्रीय स्तर पर जमकर सराहना हुई है । इसके अन्तर्विभागीय समन्वय और फ़ाइलेरिया मरीजों के लिए दिव्यांगता प्रमाणपत्र निर्गत करने के मॉडल को बेहतरीन माना गया. नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल, परिवार एवं स्वाo कल्याण मंत्रालय दिल्ली द्वारा आहूत दो दिवसीय राष्ट्रीय समीक्षा बैठक में ये सराहना मिली. बैठक 8 और 9 मई को दिल्ली में हुई जिसमें 20 राज्यों के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, राज्य सलाहकार, क्षेत्रीय निदेशक सहित कई राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए. 

    इस बैठक में बिहार का प्रतिनिधत्व कर रहे राज्य फाइलेरिया सलाहकार डॉ. अनुज सिंह रावत ने बताया कि राज्य में फ़ाइलेरिया उन्मूलन प्रयासों में अन्तर्विभागीय सहभागिता, जिसमें राज्य सरकार के शिक्षा, कारा, पंचायती राज, पी डी एस विभाग सहित आईसीडीएस, एनसीसी, जीविका, इमारत-ए-शरिया आदि के सहयोग की प्रशंसा की गयी. राज्य में नाईट ब्लड सर्वे, सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए), फ़ाइलेरिया मरीजों के लिए दिव्यांगता प्रमाणपत्र निर्गत करना, फ़ाइलेरिया नेटवर्क सदस्यों के प्रयासों आदि का भी संज्ञान लिया गया तथा इसकी सबने प्रशंसा की । इस बैठक में डॉ. रावत, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य चिकित्सा प्रभारी डॉ. रविशंकर सिंह के साथ सहयोगी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टेट कोऑर्डिनेटर (एनटीडी) डॉ. राजेश पांडेय,  सहित पिरामल स्वास्थ्य, पीसीआई, सिफार आदि के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. 

    फ़ाइलेरिया मरीजों को दिया जाने वाला दिव्यांगता सर्टिफिकेट बना उदाहरण:

    डॉ. रावत ने बताया कि इस दो दिवसीय समीक्षा बैठक में बिहार द्वारा फ़ाइलेरिया मरीजों को निर्गत किये जा रहे दिव्यांगता सर्टिफिकेट की पहल की विशेष तौर पर सराहना की गयी. बैठक में स्पष्ट रूप से माना गया कि हाथीपांव से ग्रसित व्यक्ति एक प्रकार से दिव्यांगता के शिकार होते हैं. ऐसे लोगों को दिव्यांगजनों की श्रेणी में आना ही चाहिए. क्योंकि कई बार ऐसे लोगों के समक्ष जीविकोपार्जन का संकट उत्पन्न हो जाता है. नि:शक्तता प्रमाण पत्र मिलने से उनको सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिल सकता है. पिरामल के बासब रूज ने बताया कि दिव्यांगता सर्टिफिकेट की पहल पिरामल स्वास्थ्य के सहयोग द्वारा की गयी है. 

    इस बैठक में बिहार की ओर से राज्य फ़ाइलेरिया सलाहकार डॉ. रावत एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. राजेश पांडेय ने राज्य में किये जा रहे फ़ाइलेरिया उन्मूलन के कार्यों एवं प्रगति का प्रस्तुतीकरण दिया. उल्लेखनीय है कि बिहार के सभी 38 जिले फ़ाइलेरिया से प्रभावित हैं. वर्तमान में राज्य में लिम्फेडेमा के लगभग 1 लाख 57 हजार और हाईड्रोसील के लगभग 22 हजार 300 मरीज हैं.

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