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    परिवार नियोजन पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित

    - दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का हो अंतर

    - अनचाहे गर्भ से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास 'बास्केट ऑफ़ च्वाइस' मौजूद है: डीसीएम राजेश कुमार 

    बेतिया। जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए पीएसआई इंडिया के सहयोग से शहर के एक निजी होटल में एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में सीएस डॉ श्रीकांत दुबे ने कहा कि परिवार-समाज और देश की खुशहाली के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए। कम उम्र में विवाह पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने बताया कि जरूरी हो गया है कि हर कोई छोटे परिवार के बड़े फायदे के बारे में गंभीरता से विचार करे। इसके अलावा बच्चे का जन्म तभी हो, जब माता-पिता उसके लिए पूरी तरह तैयार हों। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास 'बास्केट ऑफ़ च्वाइस' मौजूद है। 

    दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का हो अंतर:

    अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने बताया कि दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखना चाहिए। ताकि महिला का शरीर पूरी तरह से दूसरे गर्भधारण के लिए तैयार हो सके। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी सुधारा जा सकता है। उन्होंने नव दम्पतियों को शादी के दो साल बाद ही बच्चे के बारे में सोचने के प्रति जागरूक करने की बात कही, क्योंकि पहले जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझें, परिवार को समझें और अपने को आर्थिक रूप से इस काबिल बना लें कि अच्छी तरह से बच्चे का लालन-पालन कर सकें। तभी बच्चा पैदा करने की योजना बनाएं। 

    अनचाहे गर्भ से बचने के लिए स्थायी व अस्थायी संसाधन मौजूद है: 

    जिले के आशा समन्वयक राजेश कुमार ने कहा की अनचाहे गर्भ से बचने के लिए जिले के स्वास्थ्य केन्द्रो पर स्थायी व अस्थायी संसाधन मौजूद है। उन्होंने बताया की आशा कार्यकर्त्ताओं द्वारा लोगों को जागरूक करते हुए नव विवाहित जोड़े को ‘नई पहल’ किट दी जाती है, उन्हें अनचाहे गर्भ से बचने के साथ ही गर्भनिरोधक गोली, कंडोम, छाया, प्रसव के तुरंत बाद लगने वाली पीपीआईयूसीडी, बंध्याकरण एवं पुरुष नसबंदी की जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया की परिवार नियोजन के सूचकांक में अच्छी प्रगति हुई है, पश्चिम चंपारण जिले में कुल प्रजनन दर 4.0 से घटकर (एनएफएचएस) 3.01 हो गया है जो 0 .9 प्रतिशत का सुधार हुआ है, बिहार के 38 जिलों में अच्छा सुधार हुआ है। जिले में अनमेट नीड 22.3 से घटकर 12.1 तक हुआ है। यह भी बहुत अच्छा संकेत है। आशाओं, परिवार नियोजन कॉउंसलर व एएनएम के से सहयोग एवं जागरूकता से परिवार नियोजन साधनों की समुदाय स्तर मांग मांग बढ़ी है। उन्होंने बताया की अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक 48 पुरुषों की नसबन्दी की गई है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा 11 हजार 500 से ज्यादा बंध्याकरण किया गया।

    इस कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा, गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मूर्तजा अंसारी, पीएसआई इंडिया के राज्य प्रतिनिधि विवेक मालवीय, डीसी प्रताप कोशियरी, डॉ प्रेमा, सिफार डीसी सिद्धांत कुमार, रंजन मिश्रा, बीसीएम व अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थें।

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