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    जागरूकता के कारण जिले का प्रजनन दर घटकर 3.01 पहुँचा

    - आशा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के  द्वारा जागरूक करने पर बढ़ती जनसंख्या पर लगा विराम 

    - स्थायी व अस्थाई परिवार नियोजन के साधनों का उपयोग कर रहें है जन समुदाय

    बेतिया। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से समय-समय पर लोगों को जागरूक करते हुए परिवार नियोजन अपनाने के साथ ही स्थायी व अस्थाई परिवार नियोजन के साधनों का उपयोग करने का सुझाव दिया जाता है। इस संबंध में जिले के आशा समन्वयक राजेश कुमार ने बताया कि विगत कई वर्षों से पश्चिम चंपारण जिले के सभी 18 प्रखंडो के साथ ही समुदाय स्तर पर परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके परिणाम स्वरूप परिवार नियोजन के सूचकांक में  अच्छी प्रगति हुई है, पश्चिम चंपारण जिले में कुल प्रजनन दर 4.0 से घटकर (एनएफएचएस) 3.01 हो गया है जो 0 .9 प्रतिशत का सुधार हुआ है, बिहार के 38 जिलों में अच्छा सुधार हुआ है। जिले में अनमेट नीड 22.3 से घटकर 12.1 तक हुआ है यह भी यह भी बहुत अच्छा संकेत है, आशाओं के से सहयोग एवं जागरूकता से परिवार नियोजन साधनों की समुदाय स्तर पर मांग बढ़ी है। उन्होंने बताया की अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक 48 पुरुषों की नसबन्दी की गईं। वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा 11 हजार 500 से ज्यादा बंधयाकरण किया गया। इस कार्यक्रम में पीएसआई इंडिया, पिरामल स्वास्थ्य व अन्य सहयोगी संस्थाओ का भी सहयोग मिलता है।

    मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रमेश चंद्रा ने बताया की लोगों को परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी हेतु दंपती संपर्क सप्ताह, परिवार नियोजन मेला, परिवार नियोजन एवं पुरुष नसबंदी पखवाड़ा का आयोजन किया जाता है। साथ ही माइकिंग करते हुए सारथी रथ रवाना किया जाता है, ताकि बढ़ती जनसंख्या पर रोक लग सके। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, जीविका दीदी व स्वास्थ्यकर्मियों के सहयोग से सरकारी अस्पतालों में महिला बंध्याकरण, व पुरुष नसबन्दी कराई जाती है। उन्होंने कहा की स्थायी व अस्थाई परिवार नियोजन के साधनों का जन समुदाय में उपयोग बढ़ा है जो सराहनीय है। इससे आने वाले दिनों में जनसंख्या वृद्धि पर रोक सम्भव है।

    सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर मिलती है आर्थिक सहायता: 

    सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क सुरक्षित प्रसव कराया जाता है। इसके साथ ही आर्थिक सहायता भी दी जाती है। नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को 3000 रुपए एवं महिला बंध्याकरण के लिए लाभार्थी को 2000 रुपए की प्रोत्साहन की राशि लाभार्थियों के खाते में भेजी जाती है।

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