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    बच्चों के लिए जीवनदायिनी है स्तनपान, स्तनपान से कैंसर, मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग का खतरा कम होता है

    - माताओं को स्तनपान का महत्व बताते हुए बच्चों का अन्नप्राषण कराया गया

    - बच्चों की अच्छी सेहत के लिए माँ के दूध के साथ संतुलित आहार का कराए सेवन

    - बीमारियों से बचने के लिए  आंगनबाड़ी केंद्र पर होता है टीकाकरण 

    मोतिहारी। स्वास्थ्य विभाग एवं आइसीडीएस के सहयोग से जिले के विभिन्न प्रखंडो के आंगनबाड़ी केंद्र पर छः माह की आयु पूर्ण कर चुके बच्चों का अन्नप्राषण कराते हुए उपस्थित माताओं को स्तनपान का महत्व बताते हुए जागरूक किया गया। जिले के कल्याणपुर के आंगनवाड़ी केंद्रों पर 6 माह पूर्ण किए बच्चों का अन्नप्राशन सेविका, सहायिका व महिलाओं की सहभागिता से आयोजित किया गया। इस दौरान पीरामल स्वास्थ्य के प्रोग्राम लीडर राणा फिरदौस द्वारा राजेपुर आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 4 एवं अरविंद कुमार द्वारा अलखबानी आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 155 पर महिलाओ को स्वच्छता, एएनसी से सम्बन्धित जानकारी दी गई। साथ ही स्तनपान के बारे मे जानकारी दी गईं की छः माह से कम उम्र वाले बच्चों को सिर्फ़ स्तनपान कराए एवं छः माह से अधिक उम्र के बच्चों को उनके उम्र के अनुसार खान पान की मात्रा, खाने में विविधता के साथ आहार दे ताकि बच्चा मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ हो। फ़िरदौस ने कहा की स्तनपान आपके बच्चे को रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ भरपूर शारीरिक शक्ति भी प्रदान करता है।

    स्तनपान कराने से कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग का खतरा कम होता है: 

    स्तनपान कराने का प्रारंभिक चरण माँ और बच्चे दोनों के लिए एक सीखने की प्रक्रिया है। यह बच्चे को माँ से भावनात्मक रूप से भी जोड़ती है। माँ के दूध में अच्छे स्तर का प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। एक कप दूध में 8 ग्राम प्रोटीन होता है जो वृद्धि और विकास में मदद करने के साथ ही बीमारियों से लड़ने की ताकत को बढ़ाता है। दूध में दो तरह का प्रोटीन पाया जाता है। वहीं स्तनपान न कराना या समय से पहले दूध छुड़ाने पर माताओं के साथ-साथ शिशुओं के लिए भी स्वास्थ्य जोखिम से जुड़ा है। जिले के आईसीडीएस डीपीओ कविता कुमारी ने बताया की 

    जो महिलाएं स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें स्तन कैंसर और डिम्बग्रंथि के कैंसर के साथ-साथ मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, मेटाबोलिक सिंड्रोम और हृदय रोग का खतरा अधिक होता है। स्तनपान कराकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है।

    आंगनबाड़ी केंद्रों पर होता है टीकाकरण:

    जिले के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया की अब कई तरह की बीमारियों से बच्चों को बचाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र प्रशिक्षित नर्स द्वारा टीकाकरण कराया जाता है। आंगनबाड़ी केंद्र में गर्भवती माताओं को टीटी, टीटी बूस्टर, का टीका लगाया जाता है, वहीं छोटे बच्चों को बीसीजी एवं डीपीटी टीका समय-समय विटामिन ए की खुराक पिलाई जाती है, एनिमिया की रोकथाम के लिए आयरन फोलिक एसिड गोली- सिरप का सलाहानुसार सेवन 06-59 माह के बच्चों को आयरन सिरप, सप्ताह में दो बार आंगनवाड़ी केन्द्र के माध्यम से दी जाती है।

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