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    डेंगू के मामलों से बचाव हेतु बरतें सावधानी - सीएस डॉ विजय कुमार

    - डेंगू के मरीजों के लिए सरकारी अस्पतालों में बेड है तैयार

    - समय समय पर कराया जाता है फॉगिंग

    - जल जमाव के कारण पैदा होता है डेंगू का लार्वा

    बेतिया। डेंगू के मामलों से बचाव हेतु सावधानी बरतनी जरुरी होती है, डेंगू वेक्टर जनित रोग है जिसके अधिकांश मामले बरसात के मौसम में देखे जाते हैं ये कहना है जिले के सीएस डॉ विजय कुमार का उन्होंने बताया की मादा एडीज़ मच्छर के काटने से शरीर में डेंगू फैलता है। इसके जाँच व इलाज में देरी होने पर यह एक गंभीर रोग बन जाता है। इससे बचने के लिए अपने घर के आसपास, कूलर, गमलों, गड्ढों में जल का जमाव न होने दें क्यूंकि जल जमाव के कारण ही डेंगू का लार्वा पैदा होता है। उन्होंने बताया की डेंगू के इलाज हेतु गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया में 20 बेड, अनुमण्डलीय अस्पताल में 06 बेड, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र / सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर 02-02 बेड का मच्छरदानीयुक्त बेड तैयार कराया गया है। साथ ही सभी संस्थानों में डेंगू के मरीजों की जांच एवं उपचार की व्यवस्था मुफ्त में उपलब्ध है।

    डेंगू के लक्षण हो तो तुरंत कराए जाँच: 

    भीबीडीएस प्रकाश कुमार ने बताया की तेज बुखार, बदन, सिर एवं जोड़ों में दर्द और आंखों के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान, काला पखाना होना आदि डेंगू के लक्षण हैं। इन लक्षणों के साथ यदि तेज बुखार हो तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाएं और अपना इलाज करवाएं। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को पहले डेंगू हो चुका है तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। प्रकाश कुमार ने बताया की डेंगू के प्रकोप से बचाव हेतु शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में समय समय पर फॉगिंग कराया जाता है। 

    डेंगू से बचाव के उपाय:

    जिला वेक्टर पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया की डेंगू से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर एवं सभी कमरों को साफ सुथरा एवं हवादार बनाएं रखें। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, पानी टंकी एवं घर के अंदर एवं अगल-बगल में अन्य जगहों पर पानी ना जमने दें, आसपास के जगह को साफ सुथरा रखें तथा जमा पानी एवं गंदगी पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। कूलर, गमला, फूलदान इत्यादि का पानी हर दूसरे दिन बदलें। जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें।

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