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    एमएमडीपी से फाइलेरिया ग्रसित अंगों के सूजन में मिलता है लाभ: डॉ हरेंद्र

    - हाथी पांव के मरीजों को मिल रहा है विशेष प्रकार का चप्पल 

    - राज ड्योढी में मरीजों के जांच व उपचार हेतु लगता है कैंप  

    बेतिया। फाइलेरिया रोग को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद लोगों में कई वर्ष के बाद यह हाथीपांव, बढ़े हुए हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तनों में सूजन इत्यादि के रूप में दिखाई देता है। यह रोग एक बार हो जाने पर फिर जीवन में पूर्ण रूप से कभी ठीक नहीं होता है। लेकिन चिकित्सकों की सहायता व देखरेख के द्वारा इसके स्वरूप को बिगड़ने से रोका जा सकता है। यह कहना है जिले के डीभीबीडीसीओ डॉ हरेंद्र कुमार का। उन्होंने बताया कि एमएमडीपी के उपयोग से फाइलेरिया ग्रसित अंगों के सूजन में लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि जिले के हाथीपांव वाले मरीजों के लिए अब विशेष प्रकार की चप्पल भी उपलब्ध कराई जा रही है जिससे उन्हें चलने में आसानी हो रही है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज ड्योढी फाइलेरिया ऑफिस कैंपस में कैंप लगाकर समय समय पर फाइलेरिया के रोगियों के बीच एमएमडीपी किट का मुफ्त में वितरण किया जाता है और इसके उपयोग का तरीका भी सिखाया जाता है। इस किट के प्रयोग से फाइलेरिया मरीजों को काफी राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि किट में एक छोटा टब, मग, साबुन, एंटी सैप्टिक क्रीम, पट्टी, विशेष चप्पल इत्यादि रहता है। 

    अभियान के दौरान दवा सेवन कर हो सकते है फाइलेरिया से सुरक्षित:

    सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने बताया कि एमडीए राउंड के दौरान निःशुल्क मिलने वाली सर्वजन दवा का सेवन कर फाइलेरिया से सुरक्षित हो सकते हैं। फाइलेरिया के मच्छर गंदे जमे पानी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग जरूर करें। खुद को मच्छर के काटने से बचाएं।

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